इस अनोखे मंदिर में आंख-मुंह में पट्टी बांधकर होती है पूजा, साल में सिर्फ एक बार है खुलता

लाटू देवता का मंदिर

चमोली जिले के देवाल विकासखंड के वाण गांव में क्षेत्रपाल देव लाटू देवता का मंदिर है. यह मंदिर बहुत रहस्यों से भरपूर है.

कपाट खुलते हैं एक दिन के लिए

यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन बैशाख पूर्णिमा के दिन ही खुलता है और उसी दिन मंदिर में ब्राह्मण आंखों पर काली पट्टी और मुंह पर कपड़ा बांधकर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.

मंदिर के अंदर प्रवेश करना है वर्जित

मंदिर के अंदर प्रवेश करना वर्जित है. ऐसा माना जाता है कि नागराज एक अद्भुत मणि के साथ मंदिर में रहते हैं.

इसलिए मंदिर में जाना है वर्जित

ऐसा माना जाता है कि नागराज अद्भुत मणि के साथ मंदिर में रहते हैं. मणि का तेज इतना अधिक है कि जो मनुष्य की आंखों की रोशनी को भी खत्म कर सकता है. इसलिए मंदिर में जाना वर्जित है.

आंखों पर पट्टी बांधकर होती है पूजा

यह मंदिर सिर्फ एक दिन बैशाख पूर्णिमा के दिन ही खुलता है और उसी दिन मंदिर में ब्राह्मण आंखों पर काली पट्टी और मुंह पर कपड़ा बांधकर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.

कपाट खुलने पर होता है लोकनृत्य

कपाट खुलने पर श्रद्धालुओं और महिलाओं द्वारा पारंपरिक परिधानों/ आभूषणों के साथ झोड़ा, चांचड़ी लोकनृत्य प्रस्तुत किया जाता है.

लाटू देवता का है मां नंदा से रिश्ता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी ( पार्वती ) के धर्म भाई हैं.

मां नंदा ने लाटू देवता को दिया श्राप

एक बार लाटू देवता ने गलती से मदिरा पी ली और उत्पात मचाने लगे. इससे नंदा देवी को गुस्सा आ गया और उन्होंने लाटू देवता को श्राप दे दिया. मां नंदा देवी ने गुस्से में लाटू देवता को बांधकर कैद करने का आदेश दिया.

वाण गांव से हेमकुंड तक जाते हैं लाटू देवता

लाटू देवता वाण गांव से हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा को भेजने के लिए उनके साथ जाते हैं. हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा भगवान लाटू देवता के कपाट खोले जाते हैं.

Disclaimer

यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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