शतरंज दुनिया के सबसे बेहतरीन खेलों में से माना जाता है. यह दिमाग, स्किल और निर्णय क्षमता से जीता जाता है.
शतरंज आज के समय में दुनियाभर में लोकप्रिय खेल में से एक है.
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरुवार को सिंगापुर में वर्ल्ड शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचा है.
डी गुकेश ने चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब जीता है. वह सबसे कम उम्र में यह खिताब जीतने वाले खिलाड़ी बने हैं.
लेकिन क्या आपको पता है कि शतरंज का ईजाद उत्तर प्रदेश की इत्रनगरी कहे जाने वाले कन्नौज में हुआ था.
कई रिसर्च स्कॉलर्स ने ऐतिहासिक प्रमाण और घटनाओं क हवाला देते हुए बताया है कि शतरंज की शुरुआत कन्नौज से हुई थी.
शतरंज का इतिहास 15 सौ साल पुराना माना जाता है. जिसका अविष्कार भारत में हुआ था.
शुरू में इसे अष्टपद (चौंसठ वर्ग) कहा जाता था. तब राजा प्यादे के तौर पर दासों को हाथी, घोड़ा बनाकर खेलते थे.
बाद में यह खेल फारस तक पहुंचा. जहां इसके नियम बदले और इसे नम मिला शतरंज.
कन्नौज के राजा हर्षवर्धन ने चतुरंगा के रूप में शतरंज का इजाद किया था. कहा जाता है कि इसी नीति से उन्होंने कई विदेशी राजाओं को हराया.
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