दीया जलाने से जुड़े कई नियम भी शास्त्रों में वर्णित हैं जिनका पालन आवश्यक माना गया है.
संध्याकाल का दीपक हमेशा सूर्यास्त (सूर्यास्त के बाद करें ये काम) के समय जलाना चाहिए जब सूर्य आकाश में नहीं होता लेकिन प्रकाश मौजूद रहता है.
अंधेरा हो जाने के बाद दीया जलाना सात्विक नहीं बल्कि तांत्रिक पूजा में गिना जाता है.
शाम के समय दीया जलाने से नकारात्मकता दूर होती है. घर में सुख, शांति, समृद्धि, संपन्नता, सौभग्य, सकारात्मकता आदि का आगमन होता है.
शाम के समय दीया जलाने से राहु (राहु को मजबूत करने के उपाय) का दुष्प्रभाव भी कम ही जाता है.
यदि आपकी कुंडली में ग्रह दोष है तो शाम के समय दीया जलाने से ग्रह शांत होते हैं.
शाम के समय यदि दीया जला रहे हैं तो उसकी दिशा का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है. शाम के समय दीया या तो घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए या फिर तुलसी के गमले के पास जलाना चाहिए.
इसके अलावा संध्याकाल का दीपक घर भगवान की आरती कर लेने के बाद रसोई में भी रखा जा सकता है. इससे घर में हमेशा धन और धान्य का भंडार भरा रहता है.