गले मिलना न मिलना तो तेरी मर्जी है... तहजीब हाफी के 10 बेहतरीन शेर
Rahul Mishra
Sep 27, 2023
तेरा चुप रहना मेरा जहा में क्या बैठ गया. इतनी आवाजें तुझे दी कि गला बैठ गया.
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूं. पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
ये एक बात समझने में रात हो गई है. मैं उस से जीत गया हूं कि मात हो गई है
वो जिस की छांव में पच्चीस साल गुज़रे हैं. वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यों नहीं करता
मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर.ये क्या कि घर की मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूं छोड़ के घर. ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई हैदासी भी साथ हो गई है
तुझ को पाने में मसअला ये है. तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे
गले मिलना न मिलना तो तेरी मर्जी है लेकिन, तेरे चेहरे से लगता है तेरा दिल कर रहा है
मुझ पे कितने सानहे गुज़रे पर इन आंखों को क्या. मेरा दुख ये है कि मेरा हम-सफ़र रोता न था
मेरे हाथों से लग कर फूल मिट्टी हो रहे हैं. मिरी आंखों से दरिया देखना सहरा लगेगा