भगवान शिव के परिवार की बात जब भी आती है तो सबसे पहले मुंह पर श्री गणेश और कार्तिकेय जी का नाम आता है. शिव जी के पुत्र गणेश और कार्तिकेय के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन उनकी पांच पुत्रियों के बारे में बहुत कम लोगों को ही जानते हैं. आज हम आपको भगवान शिव की पांच बेटियों के बारे में बताने जा रहे हैं.
शिव पुराण में भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्रियों का वर्णन मिलता है. यहां जानते हैं महादेव की बेटियों के जन्म से जुड़ी कथा और इनसे जुड़ी रहस्यमयी बातें.
शिव पुराण में लिखित कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती सरोवर में ध्यान में थे कि उसी समय भगवान शिव के मुख पर एक मंद मुस्कान आई.
शिव जी की उस मुस्कान से 5 मोती सरोवर में झड़ कर गिर गए. उन पांच मोतियों से पांच कन्याओं का जन्म हुआ लेकिन इन कन्याएं मनुष्य रूप में होकर ना नाग रूप में थीं.
माता पार्वती को इस बारे में इसकी कोई जानकारी नहीं थी कि शिवलीला से पांच नाग कन्याओं का जन्म हुआ है. लेकिन भगवान शिव को सब पता था और वह उनसे गणेश और कार्तिकेय की तरह स्नेह भी रखते थे. इसलिए वह हर सुबह जाकर सरोवर के पास पांच नाग कन्याओं से मिलते थे और उनके साथ खेलते थे. ऐसा कई दिनों तक चलता रहा.
एक दिन माता पार्वती को शक हुआ कि भगवान शिव इतनी भोर में कहां जाते हैं. मां पार्वती सत्य का पता लगाने भगवान शिव के पीछे पीछे चल दीं. मां पार्वती ने देखा कि सरोवर पर महादेव पिता की तरह उन पांच नाग कन्याओं के साथ खेल रहे हैं.
मां पार्वती के मन में डर उत्पन्न हुआ कि कहीं ये नाग कन्याएं महादेव को आहत न कर दें. इसलिए उन्होंने इन कन्याओं का अंत करने का निर्णय किया. भगवान शिव उनकी मंशा भांप गए और उन्होंने मां पार्वती को रोक लिया. फिर मां को सत्य का ज्ञान हुआ.
भगवान शिव की इन पांच नाग कन्याओं के नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि बताया जाता है. शिव पुराण में इस बात का उल्लेख है कि भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों को विशेष वरदान दिया.
इस वरदान के अनुसार, जो भी व्यक्ति महादेव जी की पूजा के साथ-साथ उन नाग कन्याओं की भी पूजा करेगा उसके परिवार को कभी भी सर्पदंश का भय नहीं रहेगा.