काशी के शमशान में भूतनाथ भी आते हैं होली खेलने, जानें इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं

Sandeep Bhardwaj
Mar 20, 2024

मथुरा की होली के अलावा काशी की मसान होली भी बहुत प्रसिद्ध है. जानें इसके पीछे की क्या कहानी है.

काशी में हर वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के अगले दिन मसान होली मनाई जाती है

भगवान शिव को भस्म बहुत प्रिय है इसलिए यहां के लोग इस दिन भस्म से ही होली खेलते हैं

यह त्योहार 2 दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन लोग चिता की राख इकट्ठा करते हैं और दूसरे दिन होली खेलते हैं.

इस बार मसान होली 21 मार्च को खेली जाएगी है. इस दिन लोग भगवान महादेव की विशेष पूजा करते हैं और चिता की राख से होली खेलते हैं.

चिता की राख से होली खेलने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है. मसान होली को मृत्यु पर विजय का प्रतीक भी माना जाता है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान भोलेनाथ ने यमराज को हराने के बाद चिता की राख से होली खेली थी. तब से ही यहां हर साल मसान होली खेली जाती है.

मसान होली उत्सव के दौरान शिव के भक्त नाचते-गाते हैं. काशी का मणिकर्णिका घाट हर-हर महादेव से गूंजता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान भोलेनाथ माता पार्वती को विदा करके कैलाश ले आए थे.

माता पार्वती के आगमन की खुशी में शिवगणों ने चिता की राख से होली खेली थी. इस दिन सभी देवी-देवता मसान घाट पर आकर चिता की राख से होली खेलते हैं .

Disclaimer

यह जानकारी सामान्य जनमानस को जागरूक करने के लिए इंटरनेट से ली गई है. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.

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