महाकुंभ में हर श्रद्धालु को मिलेगा 'सुरक्षा कवच', 45 करोड़ लोगों की पल-पल की लोकेशन होगी ट्रैक

Pradeep Kumar Raghav
Jan 09, 2025

बिछड़ने से बचाव की तैयारी

योगी सरकार ने 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं के बिछड़ने की घटनाओं को रोकने के लिए खास इंतजाम किए हैं.

RFID तकनीक

मेले में आने वाले हर श्रद्धालु को रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक से लैस रिस्टबैंड दिया जाएगा, जिससे उनकी लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी.

हर मूवमेंट पर नजर

RFID तकनीक व्यक्ति के आने-जाने के समय और उसकी गतिविधियों की निगरानी करने में सक्षम होगी. यह तकनीक रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करती है.

यूनिक फ्रीक्वेंसी से ट्रैकिंग

हर रिस्टबैंड में एक यूनिक फ्रीक्वेंसी होगी, जो यह बताएगी कि व्यक्ति किस स्थान पर है और कहां-कहां गया है.

बिछड़े लोगों का तुरंत पता

अगर कोई व्यक्ति, बच्चा या बुजुर्ग अपने परिवार से बिछड़ जाता है, तो पुलिस कंट्रोल रूम RFID की मदद से उसे तुरंत ढूंढा जा सकेगा.

क्या है RFID तकनीक?

RFID एक प्रकार की वायरलेस तकनीक है, जो वस्तुओं, व्यक्तियों की पहचान करने के लिए उपयोग में लाई जाती है. इस तकनीक से लैस रिस्ट बैंड से श्रद्धालुओं की ट्रैकिंग की जा सकेगी.

डिजिटल खोया-पाया केंद्र

देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक बहुभाषीय डिजिटल खोया-पाया केंद्र बनाया जा रहा है, जो अलग-अलग भाषाओं में सहायता प्रदान करेगा.

डिजिटल और सुरक्षित महाकुंभ

महाकुंभ 2025 में 45 करोड़ श्रद्धालुओं और सैलानियों के आने की संभावना है. ऐसे में भीड़ की वजह से अक्सर लोग बिछुड़ जाते हैं इसलिए प्रशासन आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है.

Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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