हिंदू और सिख धर्म में शव का दाह-संस्कार किया जाता है.
इस्लाम और ईसाई धर्म के लोग शव को दफनाते हैं.
पासरी धर्म में ना ही शव को दफनाते हैं और ना ही जलाते हैं.
पारसी धर्म में शव को आकाश के सुपुर्द किया जाता है.
पिछले करीब तीन हजार वर्षों से पारसी धर्म के लोग दोखमेनाशिनी नाम से अंतिम संस्कार की परंपरा को निभाते आ रहे हैं.
इसमें शव को 'टावर ऑफ साइलेंस' (दखमा) में ले जाकर छोड़ दिया जाता है.
यह एक गोलाकार और खोखली आकृति के इमारत की तरह होता है, जोकि ऊंचाई पर बना होता है.
यहां शव को चील, गिद्ध, कौए और अन्य पक्षी आहार की तरह इसे खाते हैं.
परंपरावादी पारसी आज भी दोखमेनाशिनी के सिवा किसी भी अन्य तरीके को अपनाने से इनकार करते हैं.