ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि संविधान बीआर अंबेडकर ने लिखा था. लेकिन दरअसल संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था वो भी अपने हाथ से.
प्रेम बिहार रायजादा ने अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी सुलेख के रूप में लिखी थी, जबकि अंबेडकर ने केवल संविधान का मसौदा तैयार किया था.
प्रेम बिहारी को संविधान हाथ से लिखने में 6 महीने लगे और 432 निब घिस गईं थी. इसके अलावा शांति निकेतन के चित्रकारों ने भी संविधान के प्रत्येक पेज को अपनी चित्रकारी से सजाया.
संविधान की अंग्रेजी में लिखी पांडुलिपि और उसका हिंदी अनुवाद संसद की लाइब्रेरी में कांच के दो विशेष बक्सों में रखे हुए हैं. जो कैलिफोर्निया की एक कंपनी ने बनाए हैं.
कांच के बने ये विशेष बक्से जिनमें पांडुलिपि रखी हैं वो नाइट्रोजन से भरे हैं, ताकि पांडुलिपि के कागज खराब न हो सकें.
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा से संविधान लिखने की ये गुजारिश मौजूदा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी और प्रेम बिहारी ने इस काम के लिए एक रूपया भी नहीं लिया था.
प्रेम बिहारी ने बगैर एक भी रुपया लिये ये काम किया था मगर उनकी शर्त थी कि वो हर पन्ने पर अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपने दादा जी का नाम लिखेंगे.
संविधान की मूल कॉपी में 233 पन्ने हैं और यह 13 किलो की है, जिस पर चमड़े की काली जिल्द है और सोने की कारीगरी है. इसके लिए पेपर इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर से मंगवाया गया था.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.