कई बार ऐसा होता है कि पितरों की तस्वीर लोग कहीं भी लगा देते हैं. घर के मंदिर में भी लोग अपने पूर्वजों की तस्वीर लगा देते हैं.
मथुरा के वृंदावन में प्रवचन कर लोगों को राह दिखाने वाले प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया कि पितरों की तस्वीर कहां लगएं और कहां न लगाएं, खासकर मंदिर को लेकर.
प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने सवाल किया कि 'माता-पिता की तस्वीर को हमने अपने घर के मंदिर में लगाई है पर कुछ लोग कहते हैं कि ठाकुर जी के साथ पितरों की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए. क्या करें.
इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि 'यदि आपके भाव हैं कि ये ही हमारे ठाकुर जी हैं तो कोई परेशानी नहीं हो सकती है.
इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि ठाकुर जी का रूप कैसा? आपने जैसा मान लिया. सृष्टि कैसी? आपने जैसी देखी वैसी.'
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि 'भगवत भाव करते हैं तो कोई परेशानी नहीं है. भगवत भाव अगर नहीं है तब तो पितरों की तस्वीर रखने से मंगल नहीं होगा.
महाराज जी ने कहा कि शरीर हमारा नाशवान है पर लेकिन भगवान सच्चिदानंद हैं. यदि भाव ऐसे हैं कि केवल हमारे माता-पिता हैं तो फोटो को भगवान के सिंहासन में न रखें.
महाराज जी ने कहा- 'माता-पिता की तस्वीर में यदि अंदर भगवान बैठे हो तो साक्षात रूप से भगवान का दर्शन होगा. भगवान की फोटो विराजमान करते हैं या नहीं, फर्क नहीं पड़ता है.