प्रेमानंद महाराज जी महाराज से एक भक्त ने पूछा कि अगर अकाल मृत्यु होती है या हादसे में किसी की मृत्यु हो तो क्या उनकी आत्मा शांत होती है.
प्रेमानंद महाराज ने इसके जवाब के लिए एक उदाहरण दिया. उन्होंने खहा कि बड़े संत भी एक्सीडेंट में मृत्यु को प्राप्त होते हैं, ऐसे में क्या उनकी आत्मा अशांत है?.
महाराज जी आगे कहते हैं कि जो पापाचरण कर रहा है शरीर छूटने के बाद उसे उसी तरह के परिणाम भी प्राप्त होंगे.
प्रेमानंद जी कहते हैं कि विशेष ये नहीं कि मृत्यु कैसे हुई, विशेष ये है कि उसने जीवन कैसे बिताया. जीवन भजन में अगर व्यक्ति ने व्यतीत किया है तो वो भगवान को प्राप्त होगा.
दूसरी ओर अगर व्यक्ति ने जीवन गंदा व्यतीत किया है तो उसके गलत आचरण के लिए उसे गलत परिणाम भी प्राप्त होंगे.
मृत्यु कैसे हुई इसका महत्व नहीं है, मृत्यु की घटना तो पहले से तय है. जिसे हम अकाल मृत्यु कहते हैं वो तय होती है.
महाराज जी कहते हैं कि व्यक्ति के पाप बढ़ चुके हैं तो उसकी मौत भरी जवानी में होनी है, लेकिन मृत्यु कैसे होनी है यह सबकुछ पहले से निर्धारित है.
अगर जीवन में व्यक्ति ने सत्य धर्म, माता पिता की सेवा व भगवान के भजन किए हैं तो कल्याण होगा. अगर पापाचरण व धर्म विरुद्ध कार्य किए हैं तो गंगा में भी मरे तो भी नर्क प्राप्त होगा.
यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों और माध्यमों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को मानने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह ले लें.