त्रेता युग में एक राजा हुए सहस्त्रबाहु अर्जुन जिन्हें कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है. वो एक प्रतापी राजा थे.
सहस्त्रबाहु अर्जुन का वाल्मीकि रामायण में भी वर्णन है. प्राचीन काल में महिष्मती के राजा महाशक्तिशाली कार्तवीर्य अर्जुन थे.
भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय की तपस्या करके सहस्त्रबाहु अर्जुन ने उन्हें प्रसन्न किया. भगवान ने वरदान में उसे 1 हजार भुजाएं दीं. जिसके बाद उसका नाम सहस्त्रबाहु अर्जुन पड़ गया.
सहस्त्रबाहु अर्जुन महाप्रतापी तो थे ही, इसके अलावा वो रावण से भी कहीं अधिक शक्तिशाली थे जिन्होंने रावण को धूल चटा दी थी.
एक बार की बात है जब रावण सहस्त्रबाहु अर्जुन को हराने के लिए उनके नगर गया. नर्मदा की जलधारा देख उसने शिवजी की पूजा करने की ठानी.
पूजा स्थान से कुछ ही दूरी पर अपनी पत्नियों के साथ सहस्त्रबाहु अर्जुन जलक्रीड़ा कर रहा था. इसी दौरान नर्मदा के प्रवाह को उसने रोक दिया.
नदी का प्रवाह रूकने और इसके कारण के बारे में जब रावण को पता चला तो उसने सीधे सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा. तब भयंकर युद्ध भी हुई.
युद्ध में रावण को हराकर उसे सहस्त्रबाहु अर्जुन ने बंदी बना लिया. आग चलकर रावण के पितामह (दादा) पुलस्त्य मुनि के आग्रह पर सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ा और उससे मित्रता कर ली.
डिस्क्लेमर: पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.