सूर्य के मीन राशि छोड़कर मेष राशि में आने के दिन को मेष संक्रांति के नाम से जाना जाता है.
उत्तर और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में इसे सत्तू संक्रांति या सतुआ संक्रांति के नाम से जानते हैं.
इस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी कर लेते हैं. इसके साथ ही खरमास का समापन हो जाता है.
हर साल बैसाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को सतुआन का त्योहार मनाया जाता है.
इस बार मेष संक्रांति 14 अप्रैल को पड़ रही है. इसलिए सतुआन 14 अप्रैल को मनाया जाएगा.
इस पर्व को लोग सत्तू खाकर मनाते हैं. दरअसल, यह आम के नए फल, खेतों में चने और जौ की नई फसल के स्वागत का उत्सव है.
इस दिन नई फसलों के लिए सूर्य का आभार प्रकट करने के बाद आम के नए फल के साथ सत्तू खाया जाता है.
इस दिन सूर्य राशि परिवर्तित करते हैं. इसके साथ ही इस दिन से ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है.