उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में माता सती का शक्तिपीठ है, जिसे प्रयाग शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि यहां पर देवी सती का हस्तांगुल (हाथ की उंगलियां) गिरा था. लोगों का मानना है कि इस शक्तिपीठ में सुबह स्नान करने के बाद पूजा करने से मां श्रद्धालुओं की हर इच्छा पूरी करती हैं.
लोगों का मानना है कि यहां पर मां सती की निचली दाढ़ गिरी थी, जिसे वाराही के नाम से जाना गया. यह शक्तिपीठ यूपी के वाराणसी में स्थित है. नवरात्रि में देवी सती के इस शक्तिपीठ में श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं.
विशालाक्षी शक्तिपीठ उत्तर प्रदेस के वारणसी शहर में स्थित है. यह शक्तिपीठ काशी के मणिकर्णिका घाट के पास है. मान्यता के अनुसार यहां पर देवी सती की मणिकर्णिका गिरी थी तभी से इस स्थान को विशालाक्षी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ बनारस घूमने आने वाले लोग भी यहां पूजा करने आते हैं.
माता के 51 शक्तिपीठों में से एक उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में स्थित है. ऐसा कहा जाता है यहां के रामगिरि नामक स्थान पर माता सती का दायां वक्ष (भुजा) गिरी था. आसपास के इलाकों में इस शक्तिपीठ को शिवानी शक्तिपीठ के नाम से पुकारा जाता है. नवरात्र के दौरान भारी संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते हैं.
ऐसा माना जाता है कि माता सती के बालों का गुच्छा और चूड़ामणि वृंदावन में गिरा था. इसी को आज श्रीउमा शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को उमा देवी मंदिर भी कहा जाता है, दूर-दूर से लोग यहां मां के दर्शन करने आते हैं. खासतौर पर नवरात्रि में यहां भीड़ बढ़ जाती है.