उत्तराखंड में है राजस्थान जैसा सुंदर किला, जहां श्रीकृष्ण ने बाणासुर से किया था घनघोर युद्ध

Pooja Singh
Jan 04, 2025

उत्तराखंड

उत्तराखंड में यूं तो लगभग हर जगह घूमने लायक है. क्योंकि ये पूरा का पूरा राज्य ही प्राकृतिक खूबसूरती से सराबोर है.

प्राकृतिक सुंदरता

आज हम यहां आपको उत्तराखंड के एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही द्वापर युग की एक जरूरी घटना से भी नाता रखता है.

श्रीकृष्ण से युद्ध

एक ऐसी जगह जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पोते को कैद से छुड़ाने के लिए भयानक युद्ध किया था, जिसकी वजह से वहां की मिट्टी आज भी लाल है.

लोहाघाट

वह गांव है उत्तराखंड का लोहाघाट. यहां बहने वाले नदी को लोहावती नदी कहा जाता है. माना जाता है श्रीकृष्ण और वाणासुर के बीच हुए भीषण युद्ध में इतनी मौतें हुई कि नदी का रंग लहू से लाल हो गया.

बाणासुर का किला

इसे पहले लहुवति नदी कहा जाने लगा था. यही नाम समय के साथ बदलते हुए लोहावती हो गया. इस नदी के एक ओर राक्षस बाणासुर का किला है तो दूसरी तरफ उसके वंशजों का गांव.

कौन था बाणासुर?

राक्षस बाणासुर भगवान शिव का भक्त था और शिवजी इसे बहुत स्नेह करते थे. इस राक्षस का उल्लेख त्रेतायुग और द्वापर युग के धार्मिक ग्रंथों के साथ ही शिवपुराण में भी मिलता है.

भगवान राम

रावण की राक्षस सेना में एक महाबलशाली योद्धा के रूप में बाणासुर भी शामिल था, जिसने भगवान राम से युद्ध भी किया, लेकिन युद्ध के दौरान ही ये श्रीराम के वास्तविक रूप को पहचान गया.

राक्षस के वंशज

जब बाणासुर ने भगवान विष्णु के अवतार को पहचान गया तो वह युद्ध के मैदान से चला गया. आज भी उत्तराखंड में ना सिर्फ बाणासुर के किले की दीवारें मौजूद हैं बल्कि उसके वंशज भी किले के पास ही एक गांव में रहते हैं.

बाणासुर का खजाना

बाणासुर के किले की दीवारे हैं, लेकिन इन पर छत नहीं है. मान्यता है कि चंद्रवंशी राजाओं ने कई बार इस किले पर छत बनाने की कोशिश की. इस किले की छत को युद्ध के दौरान खुद भगवान श्रीकृष्ण ने गिराई थी.

बाणासुर की संपत्ति

कहते हैं इस किले में कहीं बाणासुर की अकूत संपत्ति भी दबी है. इसकी खोज में किले में कई मीटर गहरी खुदाई भी की गई, लेकिन किसी को कुछ मिल नहीं पाया. हालांकि खजाना कहां है ये कोई नहीं जानता.

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