पहचान का भी यह एक अहम डॉक्यूमेंट बन चुका है. इसके बिना न बैंक अकाउंट खुलता है और न ही इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते हैं.
पैन कार्ड 10 अंकों का अल्फान्यूमेरिक नंबर होता है. जिसकी शुरुआत अंग्रेजी के अल्फाबेट्स से होती है.
पैन कार्ड पर यूजर कानाम पता और फोटो भी दर्ज होता है. इसकी जानकारियों को अपडेट भी कराया जा सकता है.
व्यक्ति जब तक जिंदा रहता है, तब तक उसका पैन कार्ड वैलिड रहता है. मृत्यु के बाद व्यक्ति का पैन कार्ड निष्क्रिय हो जाता है.
आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 139 ए के मुताबिक एक व्यक्ति एक ही पैन कार्ड रख सकता है. अगर आपके पास एक से ज्यादा पैन कार्ड हैं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है.
पैन को 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 139 ए के तहत वैधानिक बनाया गया था. शुरू में वैकल्पिक था. 1976 में इसे अनिवार्य कर दिया गया.
सवाल-जवाब वाली वेबसाइट क्वोरा पर दी गई जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के अनेश कुमार सिंघल का पहला पैन कार्ड बना था.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. जी यूपीयूके इसकी पुष्टि नहीं करता.