ग्रेटर नोएडा: जानिए... बिल्डिंग का गिरना हादसा नहीं, ये हत्या है !
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ग्रेटर नोएडा: जानिए... बिल्डिंग का गिरना हादसा नहीं, ये हत्या है !

इस इलाके के भूमि अधिग्रहण को सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में रद्द कर दिया था और कोर्ट ने यहां किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी थी.

मलबे से अब-तक 9 शवों को निकाला जा चुकी है, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पास सबसे तेजी से विकसित हो रहे रियल एस्टेट केंद्र में से एक ग्रेटर नोएडा के गांव शाहबेरी में मंगलवार (17 जुलाई) शाम को अचानक दो इमारतें ढह गईं. ये हादसा इतना बड़ा है कि एनडीआरएफ की टीमें पिछले कई घंटों से राहत और बचाव के काम में जुटी हुई हैं. मलबे से अब-तक 9 शवों को निकाला जा चुकी है, जिसमें एक 15 महीने की मासूम भी है. ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में बड़ी-बड़ी इमारतें बनी हुई हैं, वो इलाका ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी क्षेत्र में आता है. इस इलाके के भूमि अधिग्रहण को सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में रद्द कर दिया था और कोर्ट ने यहां किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी थी. इसके बाद भी यहां बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य जारी हैं. ऐसा नहीं है इस मामले में सिर्फ बिल्डर ही दोषी है. बल्कि, पुलिस से लेकर प्रशासन तक और रजिस्ट्री विभाग से लेकर अथॉरिटी तक सबकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. 

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क्यों हादसा नहीं, ये हत्या है!

-बिल्डिंग बनाने में घटिया सामान का इस्तेमाल
-कमीशनखोरी ने लोगों की जान ले ली
-सीएम विंडो पर शिकायत भी की गई थी
-6 दफ्तरों में घूमती रही अवैध निर्माण की शिकायत
-अवैध निर्माण की शिकायत को कूड़ा समझा गया
-शिकायत पर जवाब मिला-सब ठीक हो गया है
-अधिकारियों की नाक के नीचे नियमों की धज्जियां उड़ीं
-कमीशनखोरी के चक्कर में सब चुप रहे
-प्रशासन ने शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं की
-शाहबेरी में हो रही रजिस्ट्री भी नहीं रोकी गई
-अभी भी 150 से ज़्यादा इमारतें खड़ी हैं
-SC ने शाहबेरी में 2011 में शाहबेरी में अधिग्रहण रद्द किया था
-2018 में सैंकड़ों फ्लैट की रजिस्ट्री हुई
-बिल्डर्स ने अधिकारियों को रिश्वत देकर अवैध निर्माण किये
-शाहबेरी में बैंक लोन नहीं हो रहे थे
-प्राइवेट फाइनेंसर से लोगों को लोन दिलाया गया
-बिल्डर, अथॉरिटी, प्रशासन, रजिस्ट्री विभाग, पुलिस, फाइनेंसर इसके गुनहगार हैं !
-अब जवाब मिल रहा है कि सबकी जांच होगी 

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