UP: कथित CAA दंगाइयों के पोस्टर लगाने के बाद योगी सरकार को क्यों लाना पड़ा अध्यादेश? जानें
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UP: कथित CAA दंगाइयों के पोस्टर लगाने के बाद योगी सरकार को क्यों लाना पड़ा अध्यादेश? जानें

योगी सरकार ने अध्यादेश के जरिए 'यूपी रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट-2020' को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल से सहमति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा और यह अगले 6 महीने तक लागू रहेगा. आगे इसे विधानसभा में पास कराया जाएगा. 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान आगजनी और हिंसा करने वालों को बख्शने के मूड में बिल्कुल नजर नहीं आ रही है. राज्य के कई शहरों में बीते वर्ष 19 और 20 दिसंबर को सीएए विरोध के नाम पर आगजनी और हिंसा हुई थी. उपद्रवियों ने सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया था. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दंगाईयों की पहचानकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे.

इसके बाद जिन जिलों में आगजनी और हिंसा हुई थी वहां के प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दंगाईयों की पहचान की और उनके घर रिकवरी नोटिस भेजा था. राजधानी लखनऊ में भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले 57 उपद्रवियों की पहचान कर प्रशासन की ओर उनको 1.55 करोड़ रुपये की रिकवरी नोटिस भेजी गई थी. बाद में लखनऊ प्रशासन ने शहर के चौराहों पर नाम, पते और फोटो के साथ इन कथित उपद्रवियों के पोस्टर-होर्डिंग लगावाए थे.

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इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार को पोस्टर हटाने के निर्देश दिए थे और पूछा था कि किस नियम के तहत यह कदम उठाया गया. योगी सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार से पूछा कि किस नियम के तहत कथित दंगाईयों के पोस्टर चौराहों पर लगाए गए? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुनवाई के लिए बड़ी बेंच में भेज दिया. इस बीच योगी सरकार ने दंगाईयों से निपटने का तरीका ढूंढ निकाला है.

योगी सरकार ने अध्यादेश के जरिए 'यूपी रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट-2020' को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल से सहमति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा और यह अगले 6 महीने तक लागू रहेगा. आगे इसे विधानसभा में पास कराया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए एक गाइडलाइन जारी किया हुआ है, जिसके आधार पर दिल्ली में हुए दंगे से हुए नुकसान की भरपाई करने की बात गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कही थी. लेकिन अब उत्तर प्रदेश के पास अपना कानून होगा.

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हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार रहेगा कि कथित दंगाईयों के पोस्टर लगाने को वह क्या राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन मानता है? क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कथित दंगाईयों के पोस्टर लगाना निजता का उल्लंघन है. इस बीच आगामी विधान सभा सत्र में योगी सरकार 'यूपी रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी बिल-2020' लाएगी और विधानमंडल से पास होने के बाद यह हमेशा के लिए कानून के रूप में अस्तित्व में आ जाएगा. इसके बाद अगर उत्तर प्रदेश में प्रशासन की ओर से दंगाईयों के पोस्टर लगाए जाएंगे तो कोर्ट में यह बताने के लिए आधार रहेगा कि किस कानून के तहत कार्रवाई की गई है.

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