वन्य जीव प्रेमी ने संजोकर रखी है 'जिम कॉर्बेट' की ऐतिहासिक बंदूक, जानिए कैसे मिला था ये खजाना
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वन्य जीव प्रेमी ने संजोकर रखी है 'जिम कॉर्बेट' की ऐतिहासिक बंदूक, जानिए कैसे मिला था ये खजाना

जिम कॉर्बेट की ये दो नाल की डब्लू जे जैफरी कंपनी की बंदूक है. जो वजन में हल्की होती है और जिसका निशाना अचूक रहता है.

 

हरेंद्र सिंह बिष्ट के पास जिम कॉर्बेट की अनमोल निशानी है.

नैनीताल: विश्व प्रसिद्ध वन्यजीव प्रेमी जिम कॉर्बेट एक जाना पहचाना नाम है. खास कर गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में जहां उन्होंने आदमखोर गुलदार और बाघों को मार गिराया था. खास बात ये है कि जिम कार्बेट के कई ऐतिहासिक दस्तावेज कुमाऊं और गढ़वाल में आज भी मौजूद हैं. मुक्तेश्वर निवासी हरेंद्र सिंह बिष्ट ने ऐसी ही अनमोल धरोहर को संजोकर रखा है.

हरेंद्र सिंह बिष्ट खुद भी वन्य जीव प्रेमी हैं. जिनके पास अभी भी जिम कॉर्बेट की एक शानदार बंदूक मौजूद है. जिम कॉर्बेट की ये दो नाल की डब्लू जे जैफरी कंपनी की बंदूक है. जो वजन में हल्की होती है और जिसका निशाना अचूक रहता है.

ये बंदूक हरेंद्र सिंह बिष्ट के पास कैसे आई इसे लेकर वन्य जीव प्रेमी ने बताया कि जिम कॉर्बेट ने गढ़वाल और कुमाऊं के कई आदमखोर गुलदारों को मारा था. जिम कॉर्बेट जब भी शिकार पर जाते थे तो उनके साथ उनका सेवक शेर सिंह रहता था. जब जिम कॉर्बेट वापस केन्या जाने लगे तो उन्होंने ये बंदूक अपने सेवक राम सिंह को देने का फैसला किया. 1940 के दशक में जब जिम कॉर्बेट वापस गए तो उन्होंने कालाढूंगी निवासी शेर सिंह को अपनी बंदूक दी. जिसके बाद, शेर सिंह से पंगोट निवासी धारा बल्लभ बुदलाकोटी ने ये बंदूक ली और सन् 1985 में डेढ़ हजार में हरेंद्र सिंह बिष्ट ने ये अनमोल चीज ले ली.

हरेंद्र सिंह बिष्ट की माने तो इस बंदूक से जिम कॉर्बेट ने कई आदमखोर बाघों को मारा था. हालांकि, जिम कॉर्बेट ने कई बंदूकों का इस्तेमाल गुलदार और बाघों को मारने के लिए किया. 2016 में अमेरिकन बंदूक निर्माता रिगबी एंड कंपनी जिम कॉर्बेट की बंदूक को लेकर रामनगर आये. लेकिन, कुछ दिनों के बाद उस बंदूक को वापस ले गए. वहीं, हरेंद्र सिंह बिष्ट के पास जिम कॉर्बेट की ये अनमोल निशानी अभी भी है.

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