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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती हो रही है। रूझानों से लगता है कि मायावती की पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने से चूक जाएंगी क्योंकि रूझानों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बहुत कम सीटों के साथ तीसरे नंबर पर चल रही है। अगर ऐसा होता है तो बसपा ही नहीं मयावती के करियर के लिए टर्निंग प्वॉइंट होगा। पांच साल सत्ता से बाहर रहने के बावजूद मायावती ने किसी से गठबंधन नहीं किया।
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राजनीति पंडितों का कहना है कि इस हार के बाद बसपा बिखर जाएगी। पार्टी में भारी टूट-फूट होगी। बसपा सभी दलों के निशाने पर होगी और बिना सत्ता के मुकाबला करना मुश्किल होगा। आरके चौधरी, स्वामी प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक समेत कई नेताओं चुनाव से पहले ही पार्टी छोड़ चुके थे। हार के बाद बचे हुए अपनी ही पार्टी के नेताओं को सहेजना मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही सभी दलों के निशाने पर रही मायावती पर दूसरे दलों के हमले और बढ़ जाएंगे।
बहुजन समाज पार्टी का गठन 1984 में हुआ लेकिन सत्ता में आने में 11 लग गए। पहली बार उन्होंने मुलायम सिंह के साथ मिलकर सरकार बनाई। उसके बाद 1995 में मुलायम सिंह की सरकार गिरा दी और मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बनीं। उसके बाद से बसपा की राजनीति लगातार मायावती के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। किसी भी नेता ने उनका विरोध किया तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।