मान्यता है कि राजा दशरथ ने पुत्र रत्न की प्राप्त करने के लिए क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव की दूध से अभिषेक किया था. उसमें दूध के अभिषेक से दूध की धारा बह निकली जो आगे चलकर सागर में बदल गई. तभी से शिवलिंग को क्षीरेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है.
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मनमीत गुप्ता/अयोध्या: धर्म नगरी अयोध्या में सावन के पहले सोमवार में शिवालयों में शिवभक्तों का ताता भोर से ही देखने को मिल रहा है. 108 ज्योतिर्लिंगों में से एक क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में सुबह से शिवभक्त श्रद्धालु आराध्य भोलेनाथ की आराधना करने के लिए दुग्ध व सरयू जल के अभिषेक के लिए कतार में खड़े दिखाई दिए. अयोध्या में कुबेर टीले के सामने क्षीरेश्वर नाथ मंदिर का पौराणिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है
क्या कहता है मान्यता?
मान्यता है कि राजा दशरथ ने भगवान राम को पुत्र रत्न की प्राप्त करने के लिए क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव की दूध से अभिषेक किया था. उसमें दूध के अभिषेक से दूध की धारा बह निकली जो आगे चलकर सागर में बदल गई. तभी से शिवलिंग को क्षीरेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है.
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कर्ज से मिलती है मुक्ति
इसके अलावा जिनको संतान नहीं होती है. वह क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में अभिषेक करते हैं तो उनको संतान की प्राप्ति होती है. साथ ही जिनकी आर्थिक स्थिति दयनीय होती है, उनपर कर्ज होता है. वह क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करते हैं तो उनकी आर्थिक हालात ठीक हो जाती हैं. सभी तरीके के कर्ज दूर होते हैं.
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सभी मनोकामना होती है पूर्ण
पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए यहां पर शिव भक्तों द्वारा अभिषेक करने की परंपरा है. भगवान शिव के शिवलिंग क्षीरेश्वर नाथमंदिर में दुग्ध और सरयू जल से अभिषेक की मान्यता है. कहा जाता है कि सावन के प्रत्येक दिन भगवान शिव के शिवलिंग पर दूध और सरयू जल से अभिषेक करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है.
श्री राम नाम के बिल्वपत्र चढ़ाते हैं भक्त
शिवभक्त श्रद्धालु पहले सरयू नदी में स्नान करते हैं उसके बाद सरयू नदी के जल को लेकर क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. भगवान शिव को बिल्वपत्र बहुत पसंद है, शिवभक्त श्री राम लिखे बिल्वपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते है.
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