यूपी निकाय चुनाव: 100 साल में पहली बार लखनऊ को मिलेगी महिला मेयर
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यूपी निकाय चुनाव: 100 साल में पहली बार लखनऊ को मिलेगी महिला मेयर

देश को पहली महिला राज्यपाल और पहली महिला मुख्यमंत्री देने का गौरव उत्तर प्रदेश को हासिल है और अब प्रदेश की राजधानी नवाबों के शहर लखनऊ को सदी की पहली महिला मेयर मिलने जा रही है.

भाजपा की मेयर पद की प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया का कहना है कि अब हमारा समय आ गया है.(फाइल फोटो)

लखनऊ: देश को पहली महिला राज्यपाल और पहली महिला मुख्यमंत्री देने का गौरव उत्तर प्रदेश को हासिल है और अब प्रदेश की राजधानी नवाबों के शहर लखनऊ को सदी की पहली महिला मेयर मिलने जा रही है. दरअसल इस बार लखनऊ मेयर की सीट महिला के लिए आरक्षित है. नगर निगम चुनाव में जीते किसी भी दल का प्रत्याशी, इतिहास बनना तय है और पहली बार राजधानी लखनऊ को महिला मेयर मिलेगी. सरोजिनी नायडू 'यूनाइटेड प्राविंस' :अब उत्तर प्रदेश: की पहली राज्यपाल थीं. 

  1.  देश को पहली महिला राज्यपाल देने का गौरव उत्तर प्रदेश को प्राप्त है 
  2. उत्तर प्रदेश से ही पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनी है 
  3. इस बार यूपी में लखनऊ से पहली बार मेयर चुना जाना है 

वह 15 अगस्त 1947 से दो मार्च 1949 तक राज्यपाल रहीं. सरोजिनी नायडू, जो भारत कोकिला के नाम से मशहूर थीं, स्वतंत्रता सेनानी थीं. वह 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में पैदा हुई थीं. उनकी शिक्षा चेन्नई, लंदन और कैम्ब्रिज में हुई. वह महात्मा गांधी की अनुयायी बनीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी रहीं.

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उनकी कविताओं के संग्रह में बच्चों, प्रकृति, देशभक्ति और प्रेम की कविताएं शामिल हैं. इसी तरह सुचेता कृपलानी के रूप में उत्तर प्रदेश से देश को पहली महिला मुख्यमंत्री भी मिलीं. वह दो अक्तूबर 1963 से 13 मार्च 1967 के बीच मुख्यमंत्री पद पर रहीं. भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली सुचेता कृपलानी महात्मा गांधी के साथ आजादी की लडाई में भागीदार बनीं. राजधानी में नगर निगम चुनावों के दूसरे चरण के तहत आज मतदान हो रहा है. पिछले 100 साल में लखनऊ की मेयर कोई महिला नहीं बनी है.

इस बार लखनऊ मेयर की सीट महिला के लिए आरक्षित है. सत्ताधारी भाजपा सहित विभिन्न दलों ने महिला प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. जीते किसी भी दल का प्रत्याशी, इतिहास बनना तय है और पहली बार राजधानी लखनऊ को महिला मेयर मिलेगी. लखनऊ में मेयर भले ही कोई महिला नहीं रही हो लेकिन यहां से लोकसभा के लिए तीन बार महिलाएं जीतकर पहुंची हैं. लखनऊ से शीला कौल 1971, 1980 और 1984 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं. 
उत्तर प्रदेश म्यूनिसिपैलिटी कानून 1916 में अस्तित्व में आया.

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बैरिस्टर सैयद नबीउल्लाह पहले भारतीय थे, जो स्थानीय निकाय के मुखिया बने. उत्तर प्रदेश सरकार ने 1948 में स्थानीय निकाय का चुनावी स्वरूप बदला और प्रशासक की अवधारणा शुरू की. इस पद पर भैरव दत्त सनवाल नियुक्त हुए. संविधान में संशोधन के जरिए 31 मई 1994 से लखनऊ के स्थानीय निकाय को नगर निगम का दर्जा प्रदान किया गया. 1959 के म्यूनिसिपैलिटी एक्ट में मेयर के निर्वाचन के प्रावधान किये गये. रोटेशन के आधार पर महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछडे वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी.

बसपा ने पूर्व अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल को प्रत्याशी बनाया है. बसपा 17 साल बाद पहली बार पार्टी के चिन्ह पर नगर निकाय चुनाव लड़ रही है. भाजपा की मेयर पद की प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया का कहना है कि अब हमारा समय आ गया है. कांग्रेस की प्रेमा अवस्थी सपा की मीरा वर्धन और आप की प्रियंका माहेश्वरी इस पद के लिए मुकाबले में हैं. 

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