एक जिला, एक उत्पाद योजना से जुड़ने के बाद यूपी के काला नमक चावल को एक नई पहचान मिली है. उच्च श्रेणी की मार्केटिंग व ब्रांडिंग की बदौलत आज काला नमक चावल की खुशबू सिद्धार्थनगर से निकल कर देश और दुनिया में महक रही है.
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पवन सेंगर/सिद्धार्थनगर: एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से जुड़ने के बाद यूपी के काला नमक चावल को एक नई पहचान मिली है. उच्च श्रेणी की मार्केटिंग व ब्रांडिंग की बदौलत आज काला नमक चावल की खुशबू सिद्धार्थनगर से निकल कर देश और दुनिया में महक रही है. तकनीक के जरिए काला नमक चावल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया गया और लागत को कम किया गया. इसका सीधा फायदा किसानों को मिल रहा है. यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिद्धार्थनगर जिले में काला नमक महोत्सव का अपने आवाास से वर्चुअली शुभारंभ करते हुए कही.
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स्ट्रॉबेरी और गुड़ महोत्सव के बाद काला नमक चावल महोत्सव का आयोजन
योगी सरकार ने झांसी के स्ट्रॉबेरी और लखनऊ के गुड़ महोत्सव की तर्ज पर सिद्धार्थनगर में तीन दिवसीय काला नमक महोत्सव का आयोजन किया गया है. आपको बता दें कि कालानमक चावल सिद्धार्थनगर का ओडीओपी है. महोत्सव में काला नमक चावल से बने स्वादिष्ट भोजन का मजा भी लोग ले सकेंगे. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने किसानों का बधाई देते हुए कहा कि सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में काला नमक चावल की उत्पादन क्षमता को लेकर नए शोध किए जा रहे हैं. भविष्य में इसकी उपज और गुणवत्ता और सुधरेगी जिसका लाभ किसानों को मिलेगा.
2600 साल पुराना है कालानमक का इतिहास
काला नमक का इतिहास करीब 26 से 27 सौ साल पुराना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले सिद्धार्थनगर में जब काला नमक चावल का उत्पादन होता था, तो आबादी कम थी और कृषि क्षेत्रफल अधिक था, इससे काला नमक चावल के उत्पादन में लागत अधिक आती थी. सिद्धार्थनगर व आसपास क्षेत्रों के 22 हजार हेक्टेयर में फसल पैदा की जाती थी. नुकसान के चलते इसकी पैदावार कम होती गई.
2017 से पहले काला नमक का उत्पादन 22 सौ हेक्टेयर तक पहुंच गया. वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया और काला नमक की वैराइटी में व्यापक सुधारकर इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया गया. अब अकेले सिद्धार्थनगर में ही लगभग 5 हजार हेक्टेयर में काला नमक चावल धान का उत्पादन किया जा रहा है.
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खुशबू और स्वाद के साथ पौष्टिक तत्वों से भी भरपूर
सीएम ने कहा कि 160 से कम दिनों में फसल तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों ने काफी कार्य किया. काला नमक चावल का पौधा लम्बा होने से बरसात या तेज हवा के झोंके से गिर जाता था. इससे किसानों को काफी नुकसान होता था. वैज्ञानिकों ने तकनीक के जरिए पौधे की लम्बाई को कम किया और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सफलता हासिल की. काला नमक चावल में खुशबू के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व आयरन, ओमेगा-3, जिंक, आयरन ओमेगा 6 पाए जाते हैं. इसी कारण देश व दुनिया के अंदर काला नमक चावल की लोकप्रियता बड़ी है.
स्ट्रॉबेरी उत्पादन और ड्रैगन फ्रूट का किया जिक्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत पर स्ट्राबेरी का उत्पादन करने वाली झांसी के एक किसान की बेटी का जिक्र किया था. बुंदेलखंड की धरती हमेशा से सूखे की चपेट में रहती है लेकिन यहां पर कैसे परिवर्तन लाया जा सकता है. यह उस बेटी ने करके दिखा दिया. किसान की बेटी डेढ़ एकड़ में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन करके 42 लाख रुपये का प्रोडक्शन कर चुकी है. ऐसे ही सुलतानपुर के किसान गया प्रसाद मुरारी सिंह ने ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन कर इतिहास रचा है.
डायबिटीज में लाभदायक
सीएम ने बताया कि यह मधुमेह जैसी बीमारियों में भी यह लाभदायक है. हमें इस पर व्यापक शोध करके इसे आगे बढ़ाना चाहिए. अयोध्या के आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय समेत गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, व महाराजगंज के कृषि वैज्ञानिकों ने इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य किया है. कृषि वैज्ञानिकों को स्थानीय किसानों के साथ संवाद कर उसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का काम करना चाहिए.
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