UP: दो माफियाओं की पत्नियां चुनावी मैदान में आजमा रहीं किस्मत, ऐसा है दोनों का कनेक्शन
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UP: दो माफियाओं की पत्नियां चुनावी मैदान में आजमा रहीं किस्मत, ऐसा है दोनों का कनेक्शन

यूपी विधान सभा चुनाव के दौरान इस बार बाहुबली जेल के अंदर बंद हैं, ऐसे में उनकी पत्नियां चुनाव मैदान में हैं. प्रयागराज के बाहुबली उदय भान की पत्नी मेजा विधान सभा सीट से किस्मत आजमा रही हैं तो वहीं एक और बाहुबली स्वर्गीय जवाहर पंडित की पत्नी प्रतापपुर से चुनावी मैदान में हैं. जवाहर पंडित की हत्या का आरोप जेल में बंद बाहुबली उदय भान पर पर है. 

नीलम करवरिया और विजमा यादव.

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में बाहुबलियों और माफियाओं का वर्चस्व पिछले कई सालों तक विधान सभा, लोक सभा या फिर पंचायत चुनावों में देखने को मिला है. मौजूदा समय में कई बाहुबली सियासी मैदान से बाहर हैं, तो कई ऐसे भी बाहुबली हैं, जो जेल की सलाखों के अंदर कैद हैं. सलाखों के पीछे से बाहुबलियों ने अपने परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारा है. 

  1. प्रयागराज की दो विधान सभा सीटों पर बाहुबलियों की पत्नियां 
  2. चुनावी मैदान में आजमा रहीं किस्मत 
  3. ऐसा है दोनों बाहुबलियों की पत्नियों का कनेक्शन  

नैनी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली 

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 2 बाहुबलियों ने की. पत्नी अलग-अलग विधान सभा से उम्मीदवार हैं. नैनी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली पूर्व विधायक उदय भान करवरिया की पत्नी मौजूदा विधायक नीलम करवरिया प्रयागराज की मेजा विधान सभा सीट से बीजेपी के टिकट पर दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं. 

जवाहर पंडित की हत्या का आरोप उदय भान पर 

वहीं प्रयागराज के प्रतापपुर विधान सभा से स्वर्गीय पूर्व विधायक जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. विजमा यादव के पति जवाहर पंडित की हत्या 1996 में दिनदहाड़े गोली मारकर प्रयागराज के सिविल लाइंस में हुई थी. जवाहर पंडित उस समय समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक थे. समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में जवाहर पंडित की गिनती होती थी. जवाहर पंडित की गिनती उस वक्त के बड़े बाहुबलियों में हुआ करती थी. जवाहर पंडित की हत्या का आरोप प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में सजा काट रहे उदय भान करवरिया, उनके भाई पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया और पूर्व एमएलसी सूरज भान करवरिया व उनके अन्य करीबियों पर लगा था. 

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जवाहर पंडित की हत्या प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में काफी हाउस के सामने दिनदहाड़े हुई थी. बताया जाता है कि जवाहर पंडित की हत्या एके-47 से की गई थी. घटना उस वक्त की है, जब जवाहर पंडित अपने विधान सभा क्षेत्र से निकलकर सिविल लाइंस होते हुए प्रयागराज के अशोक नगर स्थित घर के लिए जा रहे थे. तभी पहले से घात लगाए बैठे बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करके उन्हें मौत की नींद सुला दिया था. 

उस वक्त घटना के चश्मदीद रहे लोगों के बयानों के आधार पर उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के नेता पूर्व विधायक उदय भान करवरिया, पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व एलएलसी सूरज भान करवरिया, कल्लू करवरिया समेत कई उनके करीबियों पर लगा था. लंबे समय तक मुकदमे का ट्रायल प्रयागराज के जिला न्यायालय में चलने के बाद वर्ष 2020 में प्रयागराज के जिला न्यायालय में तीनों भाइयों समेत चार व्यक्तियों को जवाहर पंडित की हत्या का दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुना दी है.

बीजेपी की मेजा विधान सभा से विधायक हैं उदय भान की पत्नी 

तीनों भाई मौजूदा समय में प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं. उदय भान की पत्नी नीलम करवरिया मौजूदा समय में बीजेपी की मेजा विधानसभा से विधायक हैं. भारतीय जनता पार्टी ने नीलम करवरिया को दूसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है. बताया जाता है कि उदय भान करवरिया जेल से ही चुनावी गोटियां फिट करने में जुटे हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी ने जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव को प्रयागराज के यादव बाहुल्य प्रतापपुर विधान सभा से दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है. 

वर्ष 2017 में प्रतापपुर विधान सभा से विजमा यादव बसपा के मुस्तफा सिद्दीकी से चुनाव हार गई थी. हालांकि 2012 के विधान सभा चुनाव में विजय यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर पूर्व में झूंसी विधान सभा रही सीट से विधायक बनी थी. 2022 के विधान सभा चुनाव में दोनों बाहुबलियों की पत्नी एक बार फिर से चुनावी मैदान में है. 

बालू व्यवसाय की वजह से पैदा हुई थी रंजिश 

जवाहर पंडित की हत्या की वजह के पीछे बालू व्यवसाय बताया जाता है. बालू के व्यवसाय पर एक लंबे अरसे तक करवरिया बंधुओं का गंगा और यमुना के घाटों पर क़ब्ज़ा रहा. करवरिया बंधुओं के इशारे पर ही प्रयागराज और कौशांबी के गंगा यमुना के घाटों से बालू का खनन होता था और इसी खनन के बीच जवाहर पंडित ने भी विधायक बनने के बाद दावेदारी पेश कर दी थी.  

बताया जाता है कि जवाहर पंडित ने सीधे तौर पर करवरिया बंधुओं के व्यवसाय को चुनौती दी जिसके बाद करवरिया परिवार के निशाने पर जवाहर पंडित आ गए. नतीजन 1996 में उनकी दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. 23 वर्षों तक कोर्ट में चले ट्रायल के बाद करवरिया बंधुओं को सजा हुई थी. 

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