ललन सिंह के बयान पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, 'जिस गठबंधन में नीतीश कुमार हैं, उन्हीं के नेता नीतीश कुमार के बारे में क्या-क्या बयान देते हैं... मैं आज तक वैसा बयान नहीं दिया हूं. नीतीश कुमार तो ठीक हैं लेकिन वो खुद फैसला नहीं ले रहे हैं बल्कि उनके साथ कुछ लोग हैं, जिनके आधार पर वो फैसला ले रहे हैं.'
कुशवाहा ने कहा, 'पहले JDU से जो लेटर जारी होता था उसमें मेरा पद क्या लिखा रहता था, जगजाहिर है. जेडीयू ना मेरी है ना नीतीश कुमार की, बल्कि JDU करोड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं की है. हम पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं कि हम दूसरी जगह सेटिंग कर रहे हैं, तो बात ये नहीं है बल्कि नीतीश कुमार के बारे में यह चर्चा है कि फिर वह इस गठबंधन को छोड़कर दूसरे गठबंधन में ना चले जाएं.'
कुशवाहा ने आगे कहा, 'मैं जेडीयू में हूं और जदयू को मजबूत करने के लिए लगा हूं. 19 और 20 फरवरी को मैंने एक मीटिंग बुलाई है, जिसमें जेडीयू को बचाने के लिए लोग इकट्ठा होंगे. पहले मैंने जो बयान दिया था उसकी पुष्टि ललन जी के बयान से हो गई है कि सिर्फ हम कागज पर हैं.'
क्या बोले थे ललन सिंह?
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने सोमवार को कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा अब पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं हैं, अब वो सिर्फ एमएलसी हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर कुशवाहा पार्टी में मन से रहेंगे तो जेडीयू के टॉप पद पर दोबारा आसीन हो सकते हैं.
ललन सिंह ने बताया कि दिसंबर में जब पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई तो उसमें सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुना गया था. ऐसे में पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष का पद खाली ही था और है. यही वजह है कि कुशवाहा तकनीकी रूप से पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय करके नीतीश कुमार से हाथ मिलाया था. उस समय नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था. हालांकि, अब लगातार हो रही बयानबाजी के बीच जेडीयू ने ये साफ कर दिया है कि कुशवाहा पार्टी का संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं हैं.
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