नोटबंदी पर संसद में नहीं टूटा गतिरोध, पीएम मोदी की मौजूदगी में विपक्ष ने किया हंगामा
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नोटबंदी पर संसद में नहीं टूटा गतिरोध, पीएम मोदी की मौजूदगी में विपक्ष ने किया हंगामा

नोटबंदी के मुद्दे को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष का हंगामा थमता नजर नहीं आ रहा है। संसद के दोनों सदनों में गतिरोध जारी है और गुरुवार को भी विपक्ष ने हंगामा किया। राज्‍यसभा में पीएम की मौजूदगी में विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया। बता दें कि विपक्ष ने अब नोटबंदी के अलावा नगरोटा आतंकी हमले को लेकर भी केंद्र को घेरना शुरू कर दिया है। इस सत्र में अभी तक हर दिन कार्यवाही बाधित हुई है।

नोटबंदी पर संसद में नहीं टूटा गतिरोध, पीएम मोदी की मौजूदगी में विपक्ष ने किया हंगामा

नई दिल्‍ली : नोटबंदी के मुद्दे को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष का हंगामा थमता नजर नहीं आ रहा है। संसद के दोनों सदनों में गतिरोध जारी है और गुरुवार को भी विपक्ष ने हंगामा किया। राज्‍यसभा में पीएम मोदी के मौजूद रहने के बावजूद विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया। विपक्ष ने नोटबंदी के अलावा नगरोटा आतंकी हमला, ममता विमान मामला को लेकर भी केंद्र को घेरना शुरू कर दिया है। इस सत्र में अभी तक हर दिन कार्यवाही बाधित हुई है।

राज्यसभा में आज पीएम मौजूद थे, लेकिन विपक्षी सांसदों का हंगामा निर्बाध तरीके से चलता रहा। विपक्षी सांसदों ने स्पीकर की अपील अनसुनी कर दी, जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कथित टिप्पणी को लेकर उनसे माफी की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक गुरुवार को भी एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। बाद में फिर पूरे दिन के लिए स्‍थगित कर दी गई। वहीं, बीजेपी ने सदन नहीं चलने देने को लेकर कांग्रेस से माफी की मांग की है।

प्रश्नकाल के दौरान आज सूचीबद्ध प्रश्नों में प्रधानमंत्री कार्यालय से संबंधित प्रश्न थे, लिहाजा प्रधानमंत्री उच्च सदन में मौजूद थे। सभापति हामिद अंसारी ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया, उसी समय विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के सांसदों को संसद भवन में संबोधित करते हैं और बाहर भी बोलते हैं। विपक्ष ने नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान उनकी सदन में उपस्थिति की मांग की है। आजाद ने कहा कि पिछले 15 दिनों से हम (प्रधानमंत्री की सदन में उपस्थिति की) मांग कर रहे हैं। हम काले धन के खिलाफ हैं। हम इस मुद्दे पर बोलना चाहते हैं लेकिन किसके सामने बोलें। हमारा आक्रोश यह है कि प्रधानमंत्री हर सप्ताह संसद भवन में अपने सांसदों की बैठक लेते हैं। वह सदन के बाहर भी बोलते हैं। हमारी मांग यह है कि प्रधानमंत्री को यहां उपस्थित रहना चाहिए और हमारी बात सुननी चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की है कि विपक्षी दल काला धन रखने वालों के समर्थन में हैं जबकि यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। आजाद के यह कहने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद एवं शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन में नोटबंदी के मुद्दे पर उस चर्चा को बहाल करना चाहिए जो 16 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर, पहले ही दिन आरंभ की गई थी।
अंसारी ने भी कहा कि बहस अब तक अधूरी है और सरकार को इसे आगे बढ़ाने में मुश्किल नहीं है। जदयू के शरद यादव ने कहा कि वह भी चाहते हैं कि चर्चा बहाल हो लेकिन यह ‘वन वे ट्रैफिक’ नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को पूरी चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहना चाहिए। इस पर अंसारी ने कहा कि आप ऐसा क्यों मानते हैं कि वह चर्चा में हिस्सा नहीं लेंगे। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जैसा कि विपक्ष के नेता ने कहा है, प्रधानमंत्री ने पूरे विपक्ष को यह कहकर आरोपों के घेरे में ले लिया है कि विपक्ष काला धन रखने वालों के समर्थन में है। तृणमूल सदस्य की इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष के सदस्यों के विरोध के बीच अंसारी ने चर्चा बहाल करने के लिए अगले वक्ता के तौर पर बीजद के एयू सिंहदेव का नाम पुकारा। सिंहदेव अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए लेकिन तभी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बसपा के सदस्यों ने प्रधानमंत्री से उनकी टिप्पणी के लिए माफी की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े रहे। भाजपा सदस्य भी चर्चा को बहाल करने की मांग करते हुए नारे लगाने लगे। नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में हैं और चर्चा बहाल की जानी चाहिए। अंसारी ने सदस्यों से शांत रहने और चर्चा बहाल करने का अनुरोध किया। हंगामा थमते न देख उन्होंने 12 बजकर करीब 14 मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री सदन में बैठे रहे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और काले धन को समाप्त करने के लिए हम सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करते हैं। तब तक कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बसपा के सदस्यों ने प्रधानमंत्री से उनकी टिप्पणी के लिए माफी की मांग करते हुए फिर नारेबाजी शुरू कर दी। भाजपा सदस्य भी चर्चा को बहाल करने की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे। सत्ता पक्ष सदस्य आसन के समक्ष नहीं आए लेकिन अपने स्थानों से आगे आकर नारे लगा रहे थे। जबकि विपक्षी आसन के समक्ष आकर नारेबाजी कर रहे थे। सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और 500 रूपये तथा 1000 रूपये के नोट अमान्य किए जाने की वजह से उत्पन्न हालात के चलते आम लोगों को हो रही परेशानी के मुद्दे पर अधूरी रही चर्चा को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया। लेकिन सदन में व्यवस्था न बनते देख उन्होंने साढ़े बारह बजे बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

उधर, नोटबंदी के मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा शुरू कराने की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की कोशिश गुरुवार को भी सफल नहीं हो पायी, जहां कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों और राजद नियम 56 की बजाय किसी दूसरे नियम के तहत चर्चा को तो तैयार थे लेकिन मतविभाजन की मांग पर अड़े रहे। वहीं सरकार ने तुरंत चर्चा शुरू करने पर जोर दिया लेकिन चर्चा के बाद मतविभाजन पर तैयार नहीं थी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कल चर्चा किसी भी नियम के दायरे में कराने की बजाय शून्यकाल के तहत शुरू कराने का विचार रखा था। उन्होंने आज भी कहा कि मैंने कल भी कहा था कि शून्य से ब्रहमांड तक की खोज हो सकती है। हम सब मिलकर शून्य में कुछ खोजने का प्रयास करते हैं। मैं आज भी इसे दोहराती हूं। आइए हम शून्यकाल के तहत चर्चा शुरू करते हैं। लेकिन कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय और माकपा के मोहम्मद सलीम ने इस बात पर जोर दिया कि चर्चा के बाद मतविभाजन कराया जाना चाहिए।

स्पीकर ने पूछा कि चर्चा करें, मतविभाजन क्यों? उन्होंने सवाल किया कि क्या आप चर्चा नहीं चाहते हैं? इस पर सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हाथ उठाकर सहमति जताई। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि तीन चौथाई सदन चर्चा के लिए तैयार है। कांग्रेस पार्टी चर्चा नहीं करना चाहती है। हम सभी दलों से आग्रह करते हैं कि कालेधन के खिलाफ लड़ाई को नहीं रोकें, क्योंकि पूरा देश इस जंग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ है। उन्होंने कहा कि हम सभी दलों से कहना चाहते हैं कि हम पहले दिन से चर्चा करने को तैयार हैं। स्पीकर ने कुछ सुझाव दिए हैं और शून्य से ब्रहमांड की खोज करने की बात कही है। हम इसी अनुरूप चर्चा शुरू करें। कुमार ने कहा कि लेकिन कांग्रेस शून्य से शून्य की ओर जाना चाहती है, ब्रहमांड की ओर नहीं जाना चाहती है। कांग्रेस पार्टी चर्चा नहीं चाहती है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एक बार फिर सभी सदस्यों से आग्रह किया कि सभी नियमों को एक ओर रखकर हम चर्चा शुरू करते हैं। उन्होंने कहा कि कल खड़गे जी ने कहा था कि स्पीकर के पास काफी शक्तियां हैं। मैं नियमों को एक ओर रखकर चर्चा शुरू करने का आग्रह करती हूं। लेकिन विपक्षी सदस्य इस पर तैयार नहीं हुए। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा वामदलों के सदस्यों की आसन के समीप नारेबाजी जारी रही जिसके कारण सदन की कार्यवाही 12 बजकर 25 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राजद के नेताओं ने आज फिर कहा कि यदि नियम 56 के तहत चर्चा के लिए सहमति नहीं बन रही है तो सरकार भी नियम 193 के तहत चर्चा के अपने रुख से पीछे हटे और किसी ऐसे नियम में चर्चा कराई जाए जिसके बाद मतविभाजन हो सके।

इससे पहले एक बार के स्थगन के बाद 12 बजे सदन की बैठक पुन: शुरू होने पर कांग्रेस के मल्लिकाजरुन खड़गे ने गतिरोध समाप्त करने के लिए किसी अन्य नियम के तहत चर्चा शुरू कराने पर सहमति जताई थी लेकिन मतविभाजन की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि यह बड़ा मुद्दा है, यह घोटाला है। जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है लोगों को वेतन नहीं मिल रहे हैं। लाइन में लोगों की मौत हो रही है। हम लोगों की परेशानियों को उठाना चाहते हैं क्योंकि उनका ‘किस्तों में कत्ल’ हो रहा है। लेकिन सरकार चर्चा से भाग रही है। खड़गे ने कहा कि हर दिन एक फरमान आ रहा है, लोग परेशान हो रहे हैं और वो (सरकार) मस्त हैं। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह घोटाला नहीं है। तृणमूल नेता बंदोपाध्याय ने भी खड़गे की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि आसन को तीसरा रास्ता निकालना चाहिए जिससे चर्चा हो। उन्होंने कहा कि कालाधन रखने वालों को छुआ तक नहीं गया है। ऐसे कदम उठाये गए हैं कि 50 उनका और 50 हमारा। हम चाहते हैं कि कालाधन रखने वाले दंडित हों। लेकिन इसकी बजाय लोग परेशान हो रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि हम नियम 56 की बजाय किसी दूसरे नियम के तहत चर्चा को तैयार हैं, लेकिन इसमें मतविभाजन होना चाहिए। माकपा के पी करूणाकरण ने कहा कि नोटबंदी के फैसले से जनता परेशान है और सरकार को रास्ता निकालना चाहिए। हम कालेधन के खिलाफ हैं लेकिन सरकार चर्चा से क्यों भाग रही है। बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि संसद परंपराओं, चलन और नियमों के तहत चलती है। हमारी संसदीय व्यवस्था ऐसे ही काम करती है। उन्होंने कहा कि आपने (स्पीकर) कल कहा था कि हम शून्य से ब्रहमांड तक जा सकते हैं। यह बड़ी बात है। मैं आपके माध्यम से आग्रह करना चाहता हूं कि सरकार कोई पहल करे ताकि चर्चा शुरू हो सके। महताब ने कहा कि नोटबंदी की घोषणा को 22 दिन हो गये हैं लेकिन सदन में चर्चा नहीं हो पा रही है। टीआरएस के जितेन्द्र रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अच्छे इरादे से बड़े नोटों को अमान्य करने का कदम उठाया और सभी ओर इसकी प्रशंसा हो रही है। कुछ चिंताएं इसे लागू करने के विषय पर है। उन्होंने कहा कि नियमों पर अगर सहमति नहीं बन रही है तब बिना नियम के चर्चा हो। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने भी मतविभाजन वाले किसी दूसरे नियम के तहत चर्चा शुरू कराने की मांग की। अन्नाद्रमुक के पी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार का कोई भी कदम या योजना कितना भी उद्देश्यपूर्ण क्यों न हो लेकिन लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर हमने कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है और इस पर चर्चा किस नियम के तहत हो, यह स्पीकर को तय करना है।

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