कांग्रेस में नाकाम रहीं Urmila Matondkar थामेंगी शिवसेना का दामन
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कांग्रेस में नाकाम रहीं Urmila Matondkar थामेंगी शिवसेना का दामन

अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर (Urmila Matondkar) अपनी नई राजनीतिक पारी शिवसेना से शुरू करने जा रही हैं. उर्मिला कल शिवसेना में शामिल हो सकती हैं.  उन्होंने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और बाद में पार्टी छोड़ दी थी. शिवसेना उर्मिला को विधान परिषद में भेजने की तैयारी में है. 

 

फाइल फोटो

मुंबई: कांग्रेस के सहारे अपनी राजनीति चमकाने में नाकाम रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर अब शिवसेना का दामन थामने जा रही हैं. उर्मिला कल शिवसेना में शामिल हो सकती हैं. उन्होंने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और बाद में पार्टी छोड़ दी थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के करीबी सहयोगी हर्षल प्रधान ने रविवार को कहा कि उर्मिला मातोंडकर (Urmila Matondkar) मुख्यमंत्री की मौजूदगी में शिवसेना (Shivsena)में  शामिल होंगी. पार्टी उर्मिला को विधान परिषद में भेजने की तैयारी में है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास सरकार की तरफ से भेजी गई 12 नामों की सूची में उर्मिला का नाम भी शामिल है. इसके अलावा, इस कोटे के लिए सरकार ने 11 और नाम भेजे हैं. हालांकि राज्यपाल ने अभी इन 12 नामों को मंजूरी नहीं दी है.

  1. 2019 में कांग्रेस की टिकट से लड़ा था चुनाव
  2. चुनाव जीतने में असफल रहीं थीं अभिनेत्री
  3. बाद में आरोप लगाकर छोड़ दी थी पार्टी 

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Congress पर उठाए थे सवाल
उर्मिला 2019 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तरी सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. बाद में उन्होंने कांग्रेस की मुंबई इकाई के कामकाज के तरीकों को लेकर पार्टी छोड़ दी. इसके बाद से ही कयास लगाये जा रहे थे कि अभिनेत्री अपने सियासी सफर में आगे बढ़ने के लिए किसी दूसरी पार्टी का दामन थाम सकती हैं.

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Kangana Ranaut का किया था विरोध

उर्मिला ने हाल में मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से करने के लिए अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की आलोचना की थी. जिसके बाद माना जा रहा था कि वह शिवसेना में शामिल हो सकती हैं. बता दें कि विधान परिषद की यह सीटें पिछले 6 महीने से खाली पड़ी हैं. राज्यपाल कोटे की विधान परिषद सीटों पर खेल, कला, विज्ञान, शिक्षा, साहित्य आदि क्षेत्रों से आने वाले विद्वानों को मनोनीत किया जाता है.

 

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