आतंकवादियों के हाथों में अमेरिकी सेना के हथियार, कश्मीर से आई टेंशन वाली खबर
अमेरिका से तालिबान के हाथों तक जो हथियार पहुंचे थे, वही हथियार पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों को मिल रहे हैं. इस बात का सबूत पिछले महीने से ही जम्मू-कश्मीर में सामने आने लगा था.
नई दिल्लीः देश की सुरक्षा के लिए बहुत चिंता वाली ख़बर जम्मू-कश्मीर से आ रही है, जहां आतंकवादियों के हाथों में अब अमेरिकी सेना के हथियार भी आ गए हैं. जम्मू-कश्मीर में मारे गए कुछ आतंकवादियों के पास भी वही हथियार मिले थे. उनमें उसी तरह के हथियार थे, जिनका इस्तेमाल अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका और NATO के सैनिक करते थे.
अफगानिस्तान के रास्ते आतंकियों के हाथ लगे अमेरिकी हथियार
अफ़ग़ानिस्तान से लौटते समय अमेरिकी सैनिक लगभग 6 लाख छोटे हथियार भी छोड़ गए थे. इन हथियारों में पिस्तौल, राइफल, ग्रेनेड लॉन्चर, कार्बाइन और मशीनगन भी थीं, जिनको तालिबान के लड़ाकों ने हथिया लिया था. और अब उन्हीं हथियारों के साथ पाकिस्तान के आतंकी संगठन अपनी ताक़त का प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो Zee News को मिला. इस वीडियो में आतंकवादी उन्हीं हथियारों को लहराते नज़र आए, जिनको अमेरिकी सेना अफ़ग़ानिस्तान में छोड़ गई थी. हथियारों के प्रदर्शन के साथ ये आतंकवादी भड़काऊ नारेबाज़ी भी कर रहे थे.
पाकिस्तानी आतंकवादियों के पास M-4 कार्बाइन
PAAF यानी People's Anti Facist Front के नाम से एक वीडियो जारी किया गया है. यह गुट जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का ही एक गुट है, जो असल में पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नया मुखौटा बताया जा रहा है. इस वीडियो से साफ़ है कि अमेरिका से तालिबान के हाथों तक जो हथियार पहुंचे थे, वही हथियार पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों को मिल रहे हैं. इस बात का सबूत पिछले महीने से ही जम्मू-कश्मीर में सामने आने लगा था. वहां सेना और सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 6 पाकिस्तानी आतंकी मारे गए. उन सभी पाकिस्तानी आतंकवादियों के पास M-4 कार्बाइन मिली थी.
अमेरिका की M-4 कार्बाइन
M-4 कार्बाइन अमेरिका में ही बनी है, जिसका प्रयोग 60 देशों की सेना करती है. इस हथियार का प्रयोग करने वाले देशों की सूची में पाकिस्तान का नाम भी है और अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सैनिक भी बहुत बड़ी संख्या में M-4 कार्बाइन छोड़ गए थे. उसी M-4 कार्बाइन का पाकिस्तानी आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इससे ज़्यादा चिंता वाली बात कुछ नहीं हो सकती. क्योंकि, अमेरिका के छोड़े गए हथियारों से जम्मू-कश्मीर में आतंक की आग फिर से भड़काने की कोशिश की जा रही है, जबकि वर्ष 2020 में जम्मू-कश्मीर में सेना और सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को बहुत हद तक निहत्था कर दिया था, क्योंकि आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने के साथ-साथ 426 हथियार भी ज़ब्त कर लिए गए थे. सीमा पर सेना चौकन्नी थी, इसलिए पाकिस्तान की तरफ़ से हथियारों की सप्लाई भी नहीं हो पा रही थी. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आने की ये बड़ी वजह थी.
तालिबान से पाकिस्तानी आतंकियों को मिल रहे हथियार!
लेकिन, आतंकवादियों को एक बार फिर से हथियार मिल गए हैं. इससे भी ज़्यादा चिंता वाली बात ये है कि ये हथियार अमेरिकी सेना के हैं, जो छोटे हथियारों के अलावा अफ़ग़ानिस्तान में तोप, मोर्टार, हेलीकॉप्टर भी छोड़ गए हैं, जो तालिबान के पास हैं. और तालिबान से वो हथियार पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को मिलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
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