उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एचआईवी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य महकमे के रोंगटे खड़े कर दिए हैं.
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उन्नाव(उप्र): उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एचआईवी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य महकमे के रोंगटे खड़े कर दिए हैं. उन्नाव के बांगरमऊ में एक साथ 46 लोगों में एचआईवी का टेस्ट पॉजिटिव निकला है. रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2017 के नवंबर महीने में जिले में एक स्वास्थ्य कैंप लगा था, जिसके बाद 46 लोगों में एचआईवी के लक्ष्ण पाए गए.
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एसपी चौधरी ने बताया कि बांगरमऊ तहसील में अप्रैल से जुलाई तक हुये सामान्य परीक्षण में 12 एचआईवी के मामले सामने आये थे. नवंबर 2017 में दूसरे परीक्षण के दौरान 13 और मामले इसी तहसील में मिले. उन्होंने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने दो सदस्यीय कमेटी गठित की जिसने बांगरमऊ के विभिन्न इलाकों में जाकर जांच की.
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Now I feel the whole village should undergo #HIV test and then the treatment for all must be done. We are very worried:Local on atleast 40 HIV positive cases detected in Unnao's Bangarmau pic.twitter.com/zqOBMz9yb8
— ANI UP (@ANINewsUP) February 6, 2018
We had set up a health camps where these cases were found to be confirmed. We have received orders & are deciding our further course of action: Pramod Kumar, Medical Superintendent pic.twitter.com/wq77smoazC
— ANI UP (@ANINewsUP) February 6, 2018
चौधरी ने बताया कि दो सदस्यीय कमेटी ने बांगरमऊ के प्रेमगंज और चकमीरपुर इलाकों का दौरा किया और बांगरमऊ के तीन स्थानों पर 24, 25 और 27 जनवरी को परीक्षण शिविर लगाये. उसके बाद कमेटी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी. उन्होंने बताया, इन शिविरों में 566 लोगों का परीक्षण किया गया जिसमें 21 लोग एचआईवी से ग्रस्त पाये गये.
इन्हें मिलाकर बांगरमऊ में 46 लोग एचआईवी से ग्रस्त पाये गये. उन्होंने बताया कि जांच में पाया गया कि झोलाछाप राजेंद्र कुमार पास के ही गांव में रहता है और उसने सस्ते इलाज के नाम पर एक ही सुई से लोगों को इंजेक्शन लगाए. उन्होंने बताया कि झोलाछाप डाक्टर के खिलाफ बांगरमऊ पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है. इस बीच, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने से यह एचआईवी के मामले सामने आये है. हम मामले की जांच करवा रहे है.
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एक सुई से इंजेक्शन लगने के कारण हुआ वायरस
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक एचआईवी पीड़ितों का कहना है कि वह पहले जिले के नीम-हकीम और कुछ लोकल डॉक्टरों के पास इलाज कराने के लिए जाते थे. वह डॉक्टर उन्हें किसी भी तरह के इंजेक्शन से सूई और दवाई दे दिया करते थे, हो सकता है उन्हें इसी कारण एचआईवी हुआ हो. वहीं, इस मामले पर बांगरमऊ के काउंसलर सुनील का कहना है, 'हमें 46 एचआईवी पॉजिटिव केस मिले है, अगर इस मामले की सही से जांच की जाए तो पीड़ितों की संख्या 500 से ज्यादा पहुंच सकती है. सुनील का कहना है कि अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने कभी बीमारी के दौरान इलाज के लिए किसी लोकल डॉक्टर से संपर्क किया होगा, जिसने एक ही सूई से सभी मरीजों को इंजेक्शन लगाया होगा. इसलिए उन्हें एचआईवी वायरस से ग्रसित होना पड़ा है.
मामले की जांच में जुटी पुलिस
वहीं, इस मामले के बाद यूपी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रमोद कुमार ने कहा कि जहां यह घटना हुई है, उसे सुनिश्चित करने के लिए वह जिले में हेल्थ कैंप लगाया जा रहा है. सभी पीड़ितों को सही समय पर इलाज मिल सके इसकी पूरी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि एचआईवी पीड़ितों के इलाज के साथ, उन डॉक्टरों पर भी एक्शन लिया जाएगा, जिनके कारण यह वाय़रस फैला है. यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि घटना की जांच शुरु हो गई है, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए जा चुके हैं. उन्होने कहा कि प्रदेश में उन सभी डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा, जो बिना लाइसेंस और प्रैक्टिस के अपने क्लीनिक चला रहे हैं.
HIV या AIDS पीड़ितों के लिए कोई बीमा पॉलिसी है?
पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की कई बीमा कंपनियों से यह पूछा था कि क्या एचआईवी या एड्स पीड़ितों के लिए कोई बीमा पॉलिसी है. अदालत ने यह प्रश्न एक याचिका की सुनवाई के दौरान किया था. जिसमें एचआईवी संक्रमित और एड्स पीड़ितों को जीवन एंव स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में सभी लाभों के साथ शामिल किए जाने की मांग की गई थी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने पीएसयू बीमा कंपनियों को तत्काल कदम उठाने और बीमा नियामक एंव विकास प्राधिकार (आईआरडीए) के दिशानिर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए गए थे.