Uttrakhand News: उत्तराखंड जैसी जगह को तो सभी जानते होंगे. यह अपने आप में एक बहुत ही खूबसूरत जगह है. यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. मगर यहां पर कई ऐसी रहस्यमयी चीजें हैं. जिन्हें लोग देखना पसंद करते हैं. हम उत्तराखंड की एक ऐसी प्राचीन गुफा की बात करेंगे जिसका रहस्य आज भी बहुत से लोगों को नहीं पता है. इस गुफा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर आते हैं और इसके रहस्य को जानने चाहते हैं, पाताल भुवनेश्वर गुफा बहुत ही प्राचीन गुफा है. जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए. 


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पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में पर्यटकाें की जुटती है भीड़


उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर बना है. यहां पर एक प्राचीन गुफा है. जो आज दिन तक लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है. भारत के प्राचीन ग्रंथों में भी इस गुफा का वर्णन किया गया है. माना जाता है कि इस गुफा के अंदर दुनिया के अंत का एक गहरा राज छुपा हुआ है. जिसे जानने के लिए लोगों ने बहुत प्रयास किए हैं.


समुद्र तल से लगभग 90 फीट नीचे है गुफा


बताया जाता है कि यह गुफा समुद्र तल से भी लगभग 90 फीट नीचे स्थित है. इतिहासकारों ने बताया कि इस मंदिर की खोज सूर्य वंश के राजा रितुपर्णा ने की थी. जब राजा को नागों ने अंदर ले लिया था तब उन्होंने वहां पर भगवान शिव और देवताओं के दर्शन किए थे. यह भी मान्यता है कि पांडवों ने भी इस गुफा में पूजा की थी. स्कंद पुराण में भी उल्लेख किया गया है कि भगवान शिव पाताल भुवनेश्वर में रहते हैं. जहां सभी देवता उनकी पूजा करते हैं. पौराणिक कथाओं की माने तो आदि शंकराचार्य ने बाद में इस गुफा की खोज की थी. इसके बाद उन्होंने यहां पर एक तांबे का शिवलिंग भी स्थापित किया था.


बढ़ रहा है शिवलिंग का आकार


इस मंदिर में चार द्वार हैं. पाप द्वार, माेक्ष द्वार, धर्म द्वार, रण द्वार. कथाओं के अनुसार जब रावण की मृत्यु हुई थी तब पाप द्वार बंद कर दिया गया था और महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार भी बंद कर दिया गया था. वर्तमान में केवल मोक्ष और धर्म का द्वार खुला रहता है. यहां पर लगी शिवलिंग दिन प्रतिदिन बड़ा आकार लेती जा रही है. ऐसी मान्यता है कि जब शिवलिंग मंदिर की छत को छू लेगा तो दुनिया खत्म हो जाएगी. यह भी माना जाता है कि जब भगवान गणेश का सिर कटा था तब इसी मंदिर पर आकर गिरा था. मंदिर के चार स्तंभ सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग के प्रतीक है.


तीर्थ यात्रियों की लगती है भीड़


इस रहस्यमयी गुफा को देखने के लिए तीर्थ यात्रियों की काफी भीड़ जुटती है. यह गुफा अंदर जाने पर काफी सक्रिय हो जाती है. इसका नजारा तीर्थयात्री देखने के लिए काफी इंतजार करते हैं. यहां पर एक बार में सिर्फ 15 लोग ही अंदर जा सकते हैं. खास बात तो यह है कि गुफा बहुत सक्रिय है फिर भी आप आराम से उसमें चले जाएंगे.


फ्लाइट और ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं


यदि आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो नैनी सैनी हवाई अड्डा पर उतरे. यहां से 91 किलोमीटर दूर यह मंदिर स्थित है. यदि आप ट्रेन से आते हैं तो आप काठगोदाम तक की ट्रेन लेनी होगी. यह मंदिर रेलवे स्टेशन से करीब 192 किलोमीटर दूर है. जो लोग सड़क मार्ग से आना चाहते हैं वह अल्मोड़ा, बिनसर, जागेश्वर, कौसानी, नैनीताल से होते हुए यहां तक पहुंच सकते हैं.


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