इस रोमांचक, अदभुत और अकल्पनीय नजारे को 20 हजार से ज्यादा दर्शक टकटकी लगाकर अपलक देखते रहे.
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उत्तराखंड/ललित मोहन भट्ट: उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध देवीधुरा बग्वाल मेला बारिश और कोहरे की आगोश के बीच उल्लासपूर्वक संपन्न हो गया. इस बार भी फल फूलों के साथ पत्थरों की मार दस मिनट चली जिसमें 122 बग्वाली वीर और दर्शक लहूलुहान हो गए. जिन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया. इस रोमांचक, अदभुत और अकल्पनीय नजारे को 20 हजार से ज्यादा दर्शक टकटकी लगाकर अपलक देखते रहे. सुबह बाराही धाम में विशेष पूजा अर्चना के बाद दिन में दोपहर एक बजे से सात थोकों और चार खामों के बग्वाली वीरों के जत्थे आने शुरू हो गए.
खाम के लोगों ने अलग अलग रंग की पगडियों के साथ मां बाराही के जयघोष के बीच मंदिर और बग्वाल मैदान खोलीखांड द्रुबाचैड की परिक्रमा की. बांस के फर्रों और डंडों के बीच बग्वाली वीर उछल उछल कर मैदान में रोमांच के साथ जोश और जज्बा पैदा कर रहे थे. सबसे पहले चमियाल खाम और अंत में गहड़वाल खाम का जत्था पंहुचा.
वालिक खाम तिरंगे के साथ पंहुचे. मंदिर छोर पर लमगडिया और बालिक तथा बाजार छोर में गहड़वाल व चम्याल खाम के बग्वाली वीर आमने सामने आ गए. जैसे ही पुजारी ने शंख और घंट ध्वनी की उतावले बग्वाली वीरों ने फल फूलों के साथ ही पत्थर चल पडे.
जब पुजारी को आभास हुआ कि एक मानव के बराबर रक्तपात हो गया है तो वह चवर ढुलाते और मां बाराही के छत्र के साथ मैदान में पंहुचे और शंखध्वनि के साथ बग्वाल बंद करने का ऐलान किया.इसके बाद भी एक दो मिनट पत्थर उछलते रहे. 2ः38 बजे शुरु हुई बग्वाल 2ः48 बजे यानि 10 मिनट तक चली .
जिसमें 122 रणबाकुरों के साथ दर्शक भी लहूलुहान हो गए. जिनका प्राथमिक उपचार हुआ. कुछ का बिच्छू घास लगाकर भी परंपरागत उपचार हुआ. ऐतिहासिक बगवाल को देखने के लिए पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और सांसद अजय टम्टा, विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, राम सिंह कैंडा डीएम एस एन पांडेय एस पी डी एस गुंज्याल सहित कई वशिष्ठ लोग इस मौके पर मौजूद रहे.