Uttarakhand Election: इस घटना ने उखाड़ दी थीं उत्तराखंड में मुलायम की जड़ें, पहाड़ों में हमेशा खाली हाथ ही रही सपा
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Uttarakhand Election: इस घटना ने उखाड़ दी थीं उत्तराखंड में मुलायम की जड़ें, पहाड़ों में हमेशा खाली हाथ ही रही सपा

उत्तराखंड में हुए एक आंदोलन ने सपा और मुलायम सिंह यादव को ऐसा झटका दिया कि पहाड़ों में उनकी राजनीति कभी ऊंचाई पर चढ़ ही नहीं पाई. 

फाइल फोटो

नई दिल्‍ली: उत्तराखंड चुनाव (Uttarakhand election 2022) में वोटिंग के लिए कुछ ही दिन बाकी है. फिलहाल यहां बीजेपी और कांग्रेस में तगड़ी रार छिड़ती नजर आ रही है. वहीं आम आदमी पार्टी भी जोर-शोर से जुटी है. इसके अलावा भी कुछ पार्टियां हैं, जो उत्तराखंड चुनाव में अपना भाग्‍य आजमा रही हैं, जिसमें सपा प्रमुख है. हालांकि उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से काट कर ही अलग राज्‍य बनाया गया है लेकिन यूपी में हमेशा छाई रहने वाली सपा (SP) उत्तराखंड में कभी अपनी जगह नहीं बना पाई. 

  1. उत्तराखंड में कभी पैर नहीं जमा पाई सपा 
  2. एक घटना ने बदल दी थी मुलायम सिंह यादव की किस्‍मत 
  3. आज भी जेहन में है रामपुर तिराहा कांड की बर्बरता 

उत्तराखंड में हमेशा रही खाली हाथ 

यूपी में 4 बार सरकार बना चुकी समाजवादी पार्टी उसी राज्‍य का हिस्‍सा रहे उत्‍तराखंड के अलग प्रदेश बनने के बाद वहां से लगभग गायब ही हो गई. साल 2000 में अलग राज्‍य बने उत्तराखंड में सपा को कभी विधानसभा चुनाव में कोई सीट हासिल नहीं हुई. वह इस राज्‍य में केवल एक बार ही एक सीट जीत पाई है, वह भी लोकसभा चुनावों में. ऐसा नहीं है सपा ने इस राज्‍य की राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश नहीं की, लेकिन सालों पहले हुई एक घटना ने मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की इस राज्‍य में जड़ें उखाड़ दीं और इसके बाद यहां समाजवादी पार्टी हमेशा खाली हाथ ही रही. 

पहाड़ों पर नहीं चढ़ पाई साइकिल 

उत्तराखंड के अलग राज्‍य बनते ही मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का पहला सम्‍मेलन नैनीताल में रखकर यहां की राजनीति में अपने पैर जमाने के इरादे साफ कर दिए थे. लेकिन सब कुछ करने के बाद भी उत्तराखंड के पहाड़ों पर साइकिल चढ़ ही नहीं पाई और हमेशा तलहटी में ही रही. इसके पीछे एक घटना है, जो 27 साल पहले हुई थी और वह आज भी सपा को वोट नहीं खींचने देती. यह है रामपुर तिराहा कांड, जिसकी बुरी याद आज भी इस राज्‍य के लोगों के जेहन से निकलती नहीं है.  

 

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क्‍या है रामपुर तिराहा कांड? 

बात 1994 की है. उत्तराखंड बनने से पहले मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उसी समय जल, जंगल, जमीन और पहाड़ों से पलायन के मुद्दे को लेकर उत्तराखंड को अलग राज्‍य बनाने की मांग जोरों पर थी. सड़कों पर जमकर प्रदर्शन हो रहा था. पुलिस बल ने पहले तो आंदोलन को शांत कराने की कोशिश लेकिन फिर सख्‍ती पर उतर आई. हुआ यूं कि 1 और 2 अक्‍टूबर की रात आंदोलनकारियों के साथ जमकर बर्बरता हुई और 7 आंदोलनकारी शहीद हो गए. साथ ही कई बुरी तरह घायल हुए.  

हालांकि बाद में कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई लेकिन पहाड़ी लोगों को उचित न्‍याय नहीं मिल पाया, जिसकी उन्‍हें उम्‍मीद थी; बस, तब से ही वे मुलायम सिंह यादव को अपना दुश्‍मन मान बैठे और कभी उनकी पार्टी सपा को उत्तराखंड में जीतने नहीं दिया. सपा रामपुर कांड (Rampur Tiraha Kand) का कलंक अपने माथे से कभी नहीं धो पाई. 

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रही सही कसर बयानों ने पूरी कर दी 

इतना ही नहीं उत्तेजना में आकर मुलायम सिंह यादव ऐसे बयान दे चुके थे कि पहाड़ी क्षेत्र में उनकी स्वीकृति होना मुश्किल नहीं नाममुकिन सा बन गया था. ऐसे ही एक विवादित बयान में उन्होंने कहा था कि मैं उनकी परवाह क्यों करूं, कौन सा उन्होंने मुझे वोट दिया था. ये बयान मुलायम सिंह यादव ने उन लोगों की मांग पर दिया था जो उत्तराखंड को अलग राज्य बनाना चाहते थे. ऐसे में लोगों के लिए मुलायम का ये बयान बताने के लिए काफी था कि यूपी के 'नेताजी' पहाड़ी लोगों के और उनकी जरूरतों के प्रति हितैषी नहीं हैं.

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