'हृदय योजना' के तहत ऐतिहासिक विरासत को संजोने की दौड़ में वाराणसी सबसे आगे
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'हृदय योजना' के तहत ऐतिहासिक विरासत को संजोने की दौड़ में वाराणसी सबसे आगे

देश में ऐतिहासिक महत्व के 12 विरासत शहरों को केंद्र सरकार की ‘हृदय योजना’ के तहत संवारने की दौड़ में वाराणसी, अमृतसर और अमरावती को छोड़ कर अन्य शहर पीछे हैं. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश में ऐतिहासिक महत्व के 12 विरासत शहरों को केंद्र सरकार की ‘हृदय योजना’ के तहत संवारने की दौड़ में वाराणसी, अमृतसर और अमरावती को छोड़ कर अन्य शहर पीछे हैं. केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा साल 2015 में शुरु की गई ‘विरासत शहर विकास एवं संवर्द्धन योजना (हृदय) के तहत चयनित शहरों में विरासत स्थलों को सड़क एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं से इस साल नवंबर तक लैस करना है. 

योजना की प्रगति से जुड़े मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी की दस में से छह परियोजनायें पूरी हो गई हैं. अमृतसर में भी दस में छह परियोजनाओं का 75 से 95 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, वहीं अमरावती की तीन में से दो परियोजनायें पूरी हो गईं. 

इसमें शामिल अन्य शहरों अजमेर, बादामी, द्वारका, गया, कांचीपुरम, मथुरा, पुरी, वेलनकन्नी, और वारंगल में विरासत स्थलों के विकास और अन्य कामों की धीमी गति पर मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति ने चिंता व्यक्त की है. लोकसभा सदस्य पिनाकी मिश्रा की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति की हाल ही में संसद के दोनों सदनों में पेश रिपोर्ट में योजना के लिये केन्द्र द्वारा राज्यों को कम राशि जारी करने को काम की धीमी गति की वजह माना है. 

समिति ने हालांकि राज्यों को अब तक 66 प्रतिशत राशि जारी हो जाने और 50 प्रतिशत धनराशि का उपयोग होने सहित मंत्रालय की अन्य दलीलों को खरिज करते हुये कहा ‘समिति मंत्रालय के इस विश्वास से सहमत नहीं है कि योजना के तहत चल रही सभी परियोजनायें लक्ष्य के मुताबिक नवंबर 2018 से पहले पूरी कर ली जाएंगी.’ 

समिति ने ‘हृदय योजना’ को पर्यटन मंत्रालय के ‘तीर्थाटन पुनरुद्धार एवं आध्यात्मिक संवर्धन अभियान’ (प्रसाद) में विलय करने के उपाय को नाकाफी बताते हुये कहा कि परियोजनाओं के पूरा होने से पहले ही इनके विलय और पृथक्करण से परिणाम के मूल्यांकन की गुंजाइश खत्म हो जाती है. इसके मद्देनजर समिति ने ‘प्रसाद’ में विलय से पूर्व हृदय के अंतर्गत चल रहे कामों को पूरा करने की सिफारिश की है. 

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक हृदय योजना के लिए 11 राज्यों के 12 शहरों में 500 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली 63 परियोजनाओं के लिये स्वीकृत 421 करोड़ रुपये में से 276.35 करोड़ (66 प्रतिशत) रुपये जारी हो चुके हैं. इनमें से 30 जून तक 139.39 करोड़ रुपये (50.4 प्रतिशत) का व्यय हो चुका है. 

सभी शहरों में काम की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार गया, द्वारका और मथुरा में जारी चार-चार परियोजनाओं में पांच से 70 प्रतिशत तक काम हो पाया है. जबकि अजमेर की पांच परियोजनाओं का 60 से 75 प्रतिशत, कांचीपुरम की तीन परियोजनाओं में 15 से 60 प्रतिशत काम पूरा हुआ है.

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