Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से गुटबाजी चल रही है. अब यह लड़ाई सामने आ गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच लगातार मनमुटाव देखने को मिल रहा है. इस बीच सीएम गहलोत ने भाजपा को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है. उन्होंने कहा कि 2020 में कांग्रेस में विद्रोह के दौरान सरकार बचाने में वसुंधरा राजे और दो अन्य भाजपा नेताओं ने उनकी मदद की थी.


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गहलोत कांग्रेस के बागी विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वे बिना किसी दबाव के अपना कर्तव्य निभाना चाहते हैं तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वह पैसा लौटा देना चाहिए जो उन्होंने लिया है. धौलपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार को तीन भाजपा नेताओं.. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और विधायक शोभरानी कुशवाह के कारण बचाया जा सका था.


उन्होंने दावा किया, "(केंद्रीय मंत्रियों) अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान ने मिलकर मेरी सरकार को गिराने की साजिश रची. उन्होंने राजस्थान में पैसा बांटा और वे अब पैसा वापस नहीं ले रहे हैं. मुझे आश्चर्य है कि वे उनसे पैसे वापस क्यों नहीं मांग रहे हैं."


गहलोत ने कहा कि मैंने विधायकों से यहां तक कह दिया है कि उन्होंने जो भी पैसा लिया है, 10 करोड़ रुपये या 20 करोड़ रुपये, अगर आपने कुछ खर्च किया है, तो मैं वह हिस्सा दूंगा या एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) से लेने की कोशिश करूंगा.


जुलाई 2020 में गहलोत के तत्कालीन डिप्टी सचिन पायलट और अन्य 18 कांग्रेस विधायकों ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. पार्टी आलाकमान के दखल के बाद महीने भर से चला आ रहा संकट टल गया था. इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि अगर उन्होंने पैसा नहीं लौटाया तो वे हमेशा अमित शाह के दबाव में रहेंगे.


गहलोत ने आरोप लगाया, "वह केंद्रीय गृह मंत्री हैं, वह डराएंगे...महाराष्ट्र में उन्होंने शिवसेना को विभाजित किया." गहलोत ने यह भी कहा कि उन्हें पार्टी द्वारा तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया था और यह उनका कर्तव्य था कि वे सब कुछ साथ लेकर जाएं और पिछली घटनाओं को भूल जाएं और विधानसभा चुनाव में पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करें.