Veg खाना ऑर्डर किया.. नॉन वेज पहुंच गया, होटल और ऐप को देना पड़ गया तगड़ा जुर्माना
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Veg खाना ऑर्डर किया.. नॉन वेज पहुंच गया, होटल और ऐप को देना पड़ गया तगड़ा जुर्माना

Restaurant Penalty: उपभोक्ता आयोग ने गलत डिश देने के मामले में 50000 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया है. आयोग ने इसे शाकाहारियों के खाद्य अधिकारों के उल्लंघन का मामला माना.

Veg खाना ऑर्डर किया.. नॉन वेज पहुंच गया, होटल और ऐप को देना पड़ गया तगड़ा जुर्माना

Food Delivery Mistake: ऑनलाइन फूड डिलीवरी सुविधाजनक तो है लेकिन कभी कभी गलत ऑर्डर बड़े विवाद का कारण बन जाता है. खासकर जब मामला वेज नॉन वेज भोजन से जुड़ा हो तब तो बवाल ही हो जाता है. क्योंकि फिर यह विश्वास और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी गंभीर चूक बन जाती है. ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां एक ग्राहक को वेजिटेरियन ऑर्डर करने के बावजूद नॉन वेज फूड डिलीवर कर दिया गया. इस गलती के चलते फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो और होटल दोनों को भारी जुर्माना भरना पड़ा.

असल में यह घटना तेलंगाना की है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां के रंगारेड्डी उपभोक्ता आयोग ने जोमैटो और बिग बाउल चाइनीज रेस्तरां को ग्राहक को गलत डिश देने के मामले में 50000 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया है. आयोग ने इसे शाकाहारियों के खाद्य अधिकारों के उल्लंघन का मामला माना और कड़ी कार्रवाई की.

खाद्य अधिकारों के उल्लंघन का मामला

हुआ यह कि हैदराबाद के कोंडापुर स्थित बिग बाउल चाइनीज रेस्तरां से एक ग्राहक ने बिग बाउल स्पेशल चॉप्सुए ऑर्डर किया था. इसे ऐप पर शाकाहारी व्यंजन के रूप में दिखाया गया था. पहले तो ग्राहक को अधूरी डिश मिली जिसकी शिकायत करने पर उसे बदला गया. हालांकि बदलकर दी गई डिश गैर शाकाहारी निकली, जिसे ग्राहक ने खाने के बाद महसूस किया. इस घटना ने ग्राहक की 29 साल पुरानी धार्मिक आस्था का उल्लंघन किया, जिसके बाद उन्होंने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया.

दोनों की गलती साबित हुई 

जांच के दौरान जोमैटो ने दावा किया कि वह सिर्फ एक मध्यस्थ प्लेटफॉर्म है. लेकिन आयोग ने पाया कि कंपनी पहले ही ऑर्डर की राशि वापस कर चुकी थी जिससे गलती की स्वीकृति स्पष्ट हो गई. रिकॉर्डेड बातचीत में भी रेस्तरां और जोमैटो दोनों की गलती साबित हुई जहां दोनों पक्षों ने अपनी चूक मानी और ग्राहक से माफी मांगी. अदालत के नोटिस का जवाब न देने के चलते रेस्तरां को एकतरफा दोषी माना गया.

आयोग ने दोनों पक्षों को कुल 50000 रुपये का हर्जाना भरने का आदेश दिया. इसके साथ ही दोनों पक्षों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त प्रक्रियाएं लागू करें. अगर वे अप्रैल 2025 तक आदेश का पालन नहीं करते तो जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी जाएगी.

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