ZEE जानकारी: बच्चों में सुधार के नाम पर पिटाई करने से.. उनमें डर और क्रोध की भावना बढ़ती है
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ZEE जानकारी: बच्चों में सुधार के नाम पर पिटाई करने से.. उनमें डर और क्रोध की भावना बढ़ती है

हमारे पास दो Videos आए हैं.. जिन्हें देखकर आप यही कहेंगे कि एक मां.. इतनी पत्थरदिल कैसे हो सकती है? यहां हम आपको सावधान करना चाहते हैं कि ये वीडियो आपको विचलित कर सकते हैं.

ZEE जानकारी: बच्चों में सुधार के नाम पर पिटाई करने से.. उनमें डर और क्रोध की भावना बढ़ती है

हमारे देश में मां को ममता की मूर्ति कहा जाता है.. और मां को भगवान से भी ज़्यादा पूजनीय माना जाता है.. लेकिन आज हमारे पास दो Videos आए हैं.. जिन्हें देखकर आप यही कहेंगे कि एक मां.. इतनी पत्थरदिल कैसे हो सकती है? यहां हम आपको सावधान करना चाहते हैं कि ये वीडियो आपको विचलित कर सकते हैं.

ये दोनों वीडियो हमारे पास चंडीगढ़ से आये हैं. इनमें एक सौतेली मां 5 साल की बच्ची को एक बैग के अंदर डालकर ज़ोर-ज़ोर से हिला रही है... ये बच्ची बहुत डरी हुई है और बैग से बाहर आने के लिए चीख रही हैं लेकिन उसकी मां को ये चीखें सुनाई नहीं दे रही है. 

जबकि दूसरी तस्वीर में यही महिला.... बच्ची की बेरहमी से पिटाई कर रही है. बच्ची पैर में चोट लगी हुई है और उसके पैर में Plaster बंधा हुआ है लेकिन इसके बावजूद ये मां बच्ची को लगातार थप्पड़ मार रही है. हम इन दोनों तस्वीरों की पुष्टि नहीं कर सकते.. क्योंकि ये तस्वीरें हमारे कैमरे से रिकॉर्ड नहीं हुई हैं. ऐसा भी हो सकता है कि ये वीडियो पुराने हो... लेकिन इन Videos में एक सौतेली मां की क्रूरता साफ देखी जा सकती है.

इन तस्वीरों को देखकर आप परेशान हो सकते हैं....कोई भी संवदेनशील इंसान ऐसी तस्वीरें नहीं देखना चाहता....लेकिन इन तस्वीरों को दिखाने के पीछे हमारा मकसद ये है कि इस बच्ची को मारने वाली महिला को जल्द से जल्द गिरफ़्तार किया जाए. फिलहाल ये महिला फरार है जिसकी तलाश चंडीगढ़ पुलिस कर रही है .

हमें लगता है कि ऐसी महिलाएं समाज के लिए एक ख़तरा साबित हो सकती हैं.. क्योंकि ये सीधे देश के भविष्य को बिगाड़ रही हैं. डरे और सहमे हुए बच्चे किसी भी देश का भविष्य नहीं बन सकते. जिन बच्चों का बचपन इतने दुख और पीड़ाओं से भरा होता है... उनके व्यक्तित्व में बहुत कुंठा होती है. ये सीधे सीधे एक तरह का सामाजिक प्रदूषण है.

अगर ये घटना भारत के बजाए Norway में होती तो वहां इस महिला को तुरंत गिरफ़्तार कर लिया जाता और जेल भेज दिया जाता, इसके अलावा वहां की सरकार बच्चे की देखभाल की व्यवस्था करती.

Norway में बच्चों को थप्पड़ मारना भी कानूनन अपराध है. इसके अलावा Sweden दुनिया का पहला ऐसा देश था जिसने वर्ष 1979 में बच्चों को पीटने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था. बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए दुनिया के कई देशों में Parents Education Program चलाए जाते हैं. Norway, Sweden, अमेरिका और Britain जैसे देशों में Parent Effectiveness Training दी जाती है

लेकिन भारत में ना तो ऐसे सख़्त कानून हैं.. और ना ही माता-पिता को बच्चों को पालने की कोई ट्रेनिंग दी जाती है. भारत के हर मां-बाप को ये बात समझनी होगी कि बच्चों में सुधार के नाम पर पिटाई करने से.. उनमें डर और क्रोध की भावना बढ़ती है. अगर आपके आसपास बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है तो आपको चुप नहीं बैठना चाहिए, आप इसकी शिकायत 

CHILDLINE India Foundation के  Helpline नंबर 1098 पर कर सकते हैं. आप 100 नंबर पर भी फोन करके पुलिस को भी सूचना दे सकते हैं, अगर पुलिस आपकी बात नहीं सुनती है तो आप अपनी शिकायत National Commission for Protection of Child Rights को Email कर सकते हैं .

एक बच्चे के लिए उसकी मां का आंचल सबसे सुरक्षित जगह होती है.. क्योंकि मां संवेदनाओं का सागर होती है. इसीलिये हमारे समाज में मां की तुलना भगवान से की जाती है. लेकिन जैसे ही मां के साथ सौतेली शब्द जुड़ जाता है तो ये भावनाएं... शक के दायरे में आ जाती हैं. हम ये बिलकुल नहीं कह रहे कि दुनिया की हर सौतेली मां बुरी होती है. दुनिया में बहुत सारी ऐसी माएं होंगी.. जिन्होंने सौतेले बच्चों को भी बहुत प्यार से पाला होगा. लेकिन जो गलत है.. वो गलत है. इस तरह के सामाजिक प्रदूषण की इजाज़त किसी को नहीं दी जा सकती.

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