DNA ANALYSIS: भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने वाली सुरंग Atal Tunnel का ऐसा हाल करने वाले कौन हैं?
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DNA ANALYSIS: भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने वाली सुरंग Atal Tunnel का ऐसा हाल करने वाले कौन हैं?

भारत में बनी दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल- अटल टनल (Atal Tunnel) , हिमाचल प्रदेश के मनाली को लाहौल-स्पिती से जोड़ती है.  ये सुरंग करीब 18 वर्षों में बनकर तैयार हुई है और इस पर साढ़े तीन हज़ार करोड़ रुपये का खर्च आया है.

DNA ANALYSIS: भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने वाली सुरंग Atal Tunnel का ऐसा हाल करने वाले कौन हैं?

नई दिल्‍ली:  हमारे देश में सिर्फ लोगों को भड़काने वाला टुकड़े टुकड़े गैंग ही सक्रिय नहीं है, बल्कि विकास के टुकड़े टुकड़े करने वाला गैंग भी बहुत सक्रिय है और भारत में बनी एक बहुत शानदार सुरंग विकास के टुकड़े टुकड़े करने वाले लोगों के चंगुल में फंस गई है और आज हम अनुशासनहीनता की सुरंग में फंसे विकास को आजाद कराने की कोशिश करेंगे.  वैसे तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत की लंबाई 3 हजार  किलोमीटर है.  लेकिन आज हम आपको मनाली में मौजूद में एक 9 किलोमीटर लंबी सुरंग में लेकर चलेंगे. जहां आपको भारत के लोगों के असली चरित्र के दर्शन हो जाएंगे और आपको भारत का चरित्र समझने के लिए उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक, हजारों किलोमीटर लंबा सफर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. 

  1. भारत में विकास का सबूत देने वाली इस सुरंग Atal Tunnel को अराजकता के अंधेरे वाली सुरंग में बदल दिया गया है. 
  2. हरियाणा और दिल्‍ली के नंबर की गाड़ियों में सवार कुछ लोगों ने  नियमों का उल्लंघन किया. 
  3. पिछले कुछ दिनों में इस सुरंग से करीब साढ़े 5 हज़ार गाड़ियां गुज़री हैं 
  4.  

नशे में डूबे लोगों ने इस सुरंग को किसी नर्क लोक में बदल दिया है

भारत में बनी दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल- अटल टनल, हिमाचल प्रदेश के मनाली को लाहौल-स्पिती से जोड़ती है.  ये सुरंग करीब 18 वर्षों में बनकर तैयार हुई है और इस पर साढ़े तीन हज़ार करोड़ रुपये का खर्च आया है. यानी ये 2020 के भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने वाली सुरंग है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शराब और रसूख के नशे में डूबे लोगों ने इस सुरंग को किसी नर्क लोक में बदल दिया है. 

क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां मनाने के लिए हज़ारों लोग इन दिनों मनाली और आसपास के इलाकों में पहुंच चुके हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश की स्वर्ग जैसी खूबसूरती का आनंद लेने से पहले बहुत सारे लोग इस सुरंग को नर्क में बदल रहे हैं. 

दो लेन वाली इस सुरंग के बीचों बीच कुछ लोग अपनी गाड़ियां रोककर शराब के नशे में डांस करते हैं.  गाड़ियों की छतों पर चढ़कर हंगामा करते हैं और यहीं पर पार्टी शुरू कर देते हैं और ट्रैफिक जाम करने के बाद और यहां जमकर गंदगी फैलाने के बाद अपने आरामदायक होटलों की तरफ आगे बढ़ जाते हैं.

नियमों का उल्लंघन,  पहचान के संकट से जूझ रहे लोग 

ये जो लोग हैं और इनकी जो गाड़ियां हैं.  इनमें से ज्यादातर दिल्ली और दिल्ली के आसपास के शहरों से मनाली पहुंचे थे. जाहिर है सुरंग के बीच में गाड़ियां रोककर, शराब के नशे में डांस करके ट्रैफिक जाम करके और गंदगी फैलाकर ये लोग अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहते थे.  मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जो लोग इस तरह से नियमों का उल्लंघन करते हैं वो दरअसल पहचान के संकट से गुज़र रहे होते हैं. इसलिए आज हम इन लोगों की मदद करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि इन लोगों को आज पूरा देश पहचान ले.  यहां एक स्‍कॉर्पियो गाड़ी  पर नंबर दिल्ली का था और इसकी छत पर बैठकर कुछ लोग  सुरंग में हुड़दंग मचा रहे थे. ये तेज़ आवाज़ में म्यूजिक बजाकर शराब के नशे में डांस कर रहे थे. इस गाड़ी में सवार सभी लोगों के नाम हमें मिल गए और आज हम इन्हें भारत के घर- घर में लोकप्रिय करना चाहते हैं. 

ऐसे लाेगों से दो गज की नहीं, बल्कि सौ गज की दूरी रखें

हालांकि हिमाचल प्रदेश पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया, इनकी गाड़ी जब्त कर ली और इन पर जुर्माना भी लगाया गया.  लेकिन इन्हें अगले दिन ही ज़मानत भी मिल गई. हो सकता है कि अब ये लोग अपने अपने घर पहुंच गए हो. अगर ये आपके पड़ोसी हैं तो अब आपको इनसे दो गज की नहीं बल्कि सौ गज की दूरी बनाकर रखनी चाहिए क्योंकि जो लोग किसी और शहर में जाकर अपने रसूख की धौंस दिखा सकते हैं और नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं वो अपने शहर में और अपने आस पड़ोस में कितनी गुंडागर्दी करते होंगे, इसे आसानी से समझा जा सकता है. 

इसी तरह हरियाणा नंबर की एक गाड़ी में सवार कुछ लोगों ने भी ऐसे ही नियमों का उल्लंघन किया. 

दिल्ली नंबर की एक और गाड़ी में सवार लोगों ने भी इस सुरंग के बीच में अपनी गाड़ी रोककर इसी तरह से डांस किया और ट्रैफिक को बाधित किया.  ये सब लोग ऐसा करके खुद को सुपर स्टार समझ रहे थे. 

पिछले कुछ दिनों में इस सुरंग से करीब साढ़े 5 हज़ार गाड़ियां गुज़री हैं और इनमें से ज्यादातर सैलानियों की ही गाड़ियां थीं. लेकिन इनमें से ज्यादातर सैलानियों ने भारत में विकास का सबूत देने वाली इस सुरंग को अराजकता के अंधेरे वाली सुरंग में बदल दिया. 

शॉर्टकट मारने वाले लारपवाह लोग

जब Zee News की टीम इस सुरंग में पहुंची और इस सुरंग की देखभाल करने वाले लोगों से बात की, तो हमें पता चला कि इस सुरंग से गुज़रने वाले सैलानी न सिर्फ बीच में अचानक अपनी गाड़ी रोक देते हैं, बल्कि खाने पीने के पैकेट भी यहीं फेंक देते हैं, दूसरी गाड़ियों को ओवर टेक करते हैं, यहां मौजूद उपकरणों को तोड़ देते हैं और यहां तक कि इसी सुरंग में यूरिनेट भी करने लगते हैं.  भारत में लोग सड़कों, बसों, ट्रेनों, और हाइवे, जैसी सार्वजनिक संपत्ति को मुफ्त में मिली सुविधाएं समझते हैं और इन सुविधाओं का जितना हो सके उतना नुकसान करते हैं, जबकि सच ये है कि ये इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर  जिसे हम विकास कहते हैं.  उसका निर्माण आपके और हमारे टैक्‍स  के पैसों से ही होता है. लेकिन हमारे देश में कभी पार्टी करने वाले लोग नशे में इसे गंदा करते हैं, तो शॉर्टकट  मारने वाले लारपवाह लोग इसे तोड़ देते हैं और  अगर विकास इन सबसे बच भी जाए, तो उसे भारत बंद और आंदोलन के नाम पर नष्ट कर दिया जाता है या जला दिया जाता है.  यानी भारत में विकास कहीं भी हो, उसकी मौत निश्चित है.  लेकिन अब हिमाचल प्रदेश पुलिस पिछले चार दिनों में नियम तोड़ने वाले 25 लोगों को गिरफ्तार करके उन पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना लगा चुकी है.  लेकिन इनमें से ज्यादातर को अगले दिन ही ज़मानत भी मिल गई . 

जेल और जुर्माने से भी डर नहीं 

अभी बर्फबारी की वजह से इस सुरंग को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है. लेकिन हमें पूरी आशंका है कि जैसे ही लोग इस सुरंग से होते हुए वापस अपने घरों की तरफ लौटेंगे, वैसे ही इस सुरंग के सर्वनाश की शुरुआत एक बार फिर से हो जाएगी  क्योंकि, भारत में लोग अक्सर कहते हैं सब चलता है और ऐसे लोगों को जेल और जुर्माने से भी डर नहीं लगता है. 

इसी साल अक्टूबर में इस टनल का उद्गघाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. वर्षों के इंतज़ार के बाद तैयार हुई ये सुरंग सभी मौसमों में हिमाचल प्रदेश को कश्मीर से जोड़ने का काम करती है.  इस सुरंग के निर्माण के बाद मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है और जिस सफर को तय करने में पहले 3 से 5 घंटे तक लग जाते थे वो सफर अब सिर्फ 30 से 40 मिनट में पूरा हो जाता है. 

उद्घाटन के दो दिन बाद ही लोगों ने विकास की धज्जियां उड़ाना शुरू कर दिया  

लेकिन आपको शायद पता नहीं होगा कि इस सुरंग के उद्घाटन के दो दिन बाद ही लोगों ने विकास की धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी थी और तेज़ रफ्तार की वजह से इस सुरंग में दुर्घटनाएं होने लगी थीं, इसके बाद प्रशासन को इस सुरंग में गाड़ियों के लिए तय की गई गति सीमा को 80 किलोमीटर प्रति घंटे से घटाकर 60 किलोमीटर प्रतिघंटा करना पड़ा. जब भी किसी देश में लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं तो वहां सिर्फ गाड़ियों की ही नहीं, बल्कि विकास की गति भी बहुत कम हो जाती है और भारत एक ऐसा ही देश है. 

किसी भी सुरंग में गाड़ियों को ओवरटेक करने की इजाज़त नहीं होती, लोगों को अपनी लेन  में चलना होता है. सुरंग में गाड़ी पार्क करने की भी इजाज़त नहीं होती और अगर किसी सुरंग में ट्रैफिक जाम लगता है तो वहां प्रदूषण का स्तर भी बहुत ख़तरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. 

Zee News की टीम ने इस सुरंग की देख रेख करने वाले अधिकारियों से भी बात की. उन्होंने हमें बताया कि नियमों के उल्लंघन की वजह से इस सुरंग को लगातार नुकसान पहुंच रहा है और उनकी टीम को लगातार इसकी मरम्मत करनी पड़ती है. 

अमेरिका और चीन में हैं ये नियम 

विकास आपका मूलभूत अधिकार है लेकिन इस अधिकार को हासिल करने के लिए आपको अपने कुछ कर्तव्य भी निभाने होते हैं और कर्तव्य का बोध अनुशासन से आता है. भारत में भले ही इस अनुशासन की कमी हो, लेकिन दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां ऐसा नहीं है.  चीन से एक तस्‍वीर के बारे में यहां आपको बताते हैं.  ये तस्वीर वर्ष 2018 की है जब चीन के जिनहुआ शहर की एक सुरंग में गाड़ियों की लंबी कतार लगी थी. शाम का समय था और इस वजह से ट्रैफिक ज़्यादा था, तभी सुरंग से गुज़र रहे लोगों को एंबुलेंस के सायरन की आवाज़ सुनाई दी और लोगों ने अपनी गाड़ियों को सुरंग के दोनों किनारों पर लगाना शुरू कर दिया. 

अमेरिका में अगर कोई व्यक्ति ट्रैफिक के नियम तोड़ता है तो उस पर 5000 से लेकर साढ़े सात लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है.  चीन में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर 22 हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगता है और नियम तोड़ने वाले व्यक्ति के ड्राइविंग लाइसेंस के प्वाइंट्स भी कम कर दिए जाते हैं. 

भारत में गाड़ी खरीद लेने और इसे चलाने का लाइसेंस हासिल कर लेने के बाद लोग खुद को सड़कों का मालिक समझने लगते हैं. लेकिन अमेरिका जैसे देशों में ऐसा नहीं होता.  वहां गाड़ी चलाने को अधिकार नहीं, बल्कि नियमों और कायदों के तहत दी गई एक सुविधा माना जाता है.  अगर आप अमेरिका में जाकर गाड़ी चलाना सीखेंगे तो आपका ट्रेनर पहले ही दिन आपको नियम समझाते हुए कहेगा कि Driving a car is a privilege, not a right. 

विकास के साथ दुश्मनी पालने का मूड

ये हाल तब है जब अमेरिका में प्रति एक हज़ार लोगों पर 838 गाड़ियां हैं, जबकि भारत में प्रति एक हज़ार लोगों पर सिर्फ 45 गाड़ियां हैं.  भारत में आज भी गाड़ी खरीदना लोगों का सपना होता है. लेकिन जैसे ही कुछ लोग अपना ये सपना पूरा कर लेते हैं. वैसे ही वो सड़कों पर अपना अधिकार जमा लेना चाहते हैं.  भारत में सिर्फ गाड़ी चलाने वाले ही विकास के पहियों को पंचर नहीं करते, बल्कि भारत के लोग अक्सर विकास के साथ दुश्मनी पालने के मूड में रहते हैं. 

2018 में Semi-high speed train, T-18 की खिड़की के शीशों को पत्थर मारकर तोड़ दिया गया था. 

इससे पहले महामना और तेजस जैसी ट्रेनों के साथ भी ऐसा ही हुआ था. ये ट्रेनें यात्रा के दौरान लोगों को विश्व स्तरीय सुविधाएं देने के इरादे से चलाई गई थी. लेकिन लोगों ने इन ट्रेनों को भी नहीं बख्शा. किसी ट्रेन से toilet accessories की चोरी कर ली गई और उसे एक कूड़ेदान में बदल दिया गया.  तो किसी ट्रेन से लोगों ने Headphones और LCD Screens तक चोरी कर लिए. ये सब इन ट्रेनों के चलने के एक से दो हफ्तों के बीच ही होने लगा था. 

रेल मंत्रालय के 2018 के आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष ट्रेनों से करीब 2 लाख तौलिए, 82 हज़ार बेड शीट्स , 55 हज़ार तकियों के कवर और 7 हज़ार कंबल चुरा लिए गए थे . एक अनुमान के मुताबिक इस चोरी की वजह से रेलवे को हर साल एक से दो करोड़ रुपये का नुकसान होता है. 

इसी तरह होटलों से भी लोग तौलिए, प्लेट, चम्मच, बाउल, हेयर ड्रायर और चाय की कैटल तक चुरा लेते हैं.  कुछ होटलों ने तो इन वस्तुओं से लोगो तक हटाने शुरू कर दिए हैं, ताकि चुराने वाले को उसकी कीमत का अंदाज़ा न हो पाए और वो उसे सस्ता समझकर वहीं छोड़ दें. 

यानी हमारे देश में कुछ लोगों की मानसिकता ऐसी हो चुकी है कि वो अच्छी सुविधाओं का गलत इस्तेमाल करके उसे खराब कर देते हैं.  बिजली मिलेगी तो उसकी चोरी होगी, फ्री इंटरनेट दिया जाएगा तो उसका भी गलत इस्तेमाल करेंगे.  सड़कों पर किसी नियम का पालन नहीं करेंगे और मौका मिलते ही सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाएंगे.  हमारी नज़र में चाकू की नोंक पर ट्रेनों को लूटना या यात्री के रूप में ट्रेन में लगाई गई सुविधाओं की चोरी करना, इन दोनों में ज़्यादा फर्क नहीं है क्योंकि चोरी और लूट एक जैसी मानसिकता का परिणाम है. 

हमारे देश के लोग पहाड़ों को काटकर बनाई गई सुरंगों को नहीं बख्शते पटरियों पर दौड़ने वाली ट्रेनों को नहीं छोड़ते और यहां तक कि विकास की सबसे बड़ी पहचान माने जाने वाले हाइवे  पर लगे उपकरणों को भी चुरा लेते हैं. 

वर्ष 2018 में दिल्ली हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले Eastern Peripheral Expressway का निर्माण 11 हज़ार करोड़ रुपये की लागत से पूरा हुआ था. इसका उद्घाटन भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. 135 किलोमीटर लंबे इस एक्‍सप्रेस वे  का निर्माण सिर्फ 17 महीनों में पूरा कर लिया गया था. लेकिन लोगों को इतनी तेज़ गति से हुआ ये विकास भी बर्दाश्त नहीं हुआ. कुछ ही दिनों में इस हाईवे से 100 टन स्टील, सोलर पैनल्स, फेंसिंग वायर और यहां तक कि बंदूक की नोक पर एक कटिंग मशीन तक चुरा ली गई. 

यानी भारत में लोग विकास की चोरी करने तक से भी बाज़ नहीं आते. वैसे ये विंडबना है कि जब भारत में अंग्रेज़ नहीं आए थे. तब भारत के लोगों को पूरी दुनिया में सबसे चरित्रवान और ईमानदार माना जाता था  और दुनिया भर से भारत आने वाले दार्शनिक, भारत के लोगों के अनुशासन, और ईमानदारी के बारे में अपनी मशहूर पुस्तकों में लिखा करते थे. 

उदाहरण के लिए आज से करीब 23 सौ वर्ष पहले ग्रीस से एक इतिहासकार भारत आए थे  जिनका नाम था - मेगास्‍थनीज. 

मेगास्‍थनीज ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि भारत के लोगों के लिए सत्य और सदाचार बहुत महत्व रखते हैं और ईमानदारी को तो भारत के लोग सबसे बड़ा सदगुण मानते हैं.  उन्होंने तो अपनी पुस्तक में यहां तक लिखा था कि उस ज़माने में भारत के लोग अपने घरों पर ताला नहीं लगाया करते थे क्योंकि, उन्हें चोरी चकारी का कोई डर नहीं था. 

इसी तरह पांचवी शताब्दी में चीन से भारत आए महान बौद्ध संत फाहियान  ने भी भारत के विषय में लिखा था कि यहां के लोगों को बहुत कम मौकों पर ही न्याय मांगने की जरूरत पड़ती है  क्योंकि भारत के लोग नैतिकता का पालन करते हैं.  उन्होंने ये भी लिखा था कि भारत की सड़कें चोरों और डाकुओं से मुक्त हैं. 

विकास के खिलाफ असहयोग आंदोलन 

सातवीं शताब्दी में भारत आए चीन के दार्शनिक ह्वेन सांग ने भी लिखा था कि भारत के लोग अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हैं और हर काम में ईमानदारी बरतते हैं.  लेकिन इसके बाद भारत में विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारी आए. फिर मुगल आए और ये सिलसिला अंग्रेज़ों पर जाकर खत्म हुआ. अंग्रेज़ों के ज़माने में असहयोग आंदोलनों के जरिए महात्मा गांधी ने देश के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वो अंग्रेज़ों की बात न मानें और उनके द्वारा बनाए गए नियमों का विरोध करें. ये आंदोलन आजादी का हथियार बने, लेकिन आजादी मिल जाने के बाद इसे भारत के लोगों ने अपनी आदत बना लिया और आज भारत के लोग अपने ही देश के नियम कायदों को मानने से इनकार कर देते हैं. ये अपने ही देश में हो रहे विकास के खिलाफ एक असहयोग आंदोलन चलाने लगते हैं. 

कुछ दिनों पहले हमने आपको आगरा से आई एक खबर दिखाई थी. जहां एक निर्माण कार्य के लिए सड़क को खोदा गया था. लेकिन लोगों ने इस सड़क के बनने का इंतज़ार नहीं किया और सड़क पर रखी गई बड़ी बड़ी पाइपों से ही अपनी गाड़ियां लेकर गुज़रने लगे.  यानी भारत के लोगों को विकास वाली मिठास तो चाहिए. लेकिन इसके लिए वो धैर्य वाली कड़वी गोली बिल्कुल नहीं खाना चाहते. 

नियमों का पालन करने का धैर्य नहीं

मनाली में जिस अटल टनल में लोगों ने विकास की धज्जियां उड़ाई, उसकी लंबाई 9 किलोमीटर है और इसे पार करने में सिर्फ 15 मिनट लगते हैं.  लेकिन लोग इन 15 मिनटों के दौरान भी नियमों का पालन करने का धैर्य नहीं दिखा पाते और अपने साथ साथ दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं.  लेकिन ये कहानी सिर्फ सुरंग या सड़कों की नहीं है, बल्कि बेईमानी हमारे देश के DNA का हिस्सा बन चुकी है.  एक भारतीय, जो विदेशों में सभी नियमों का पालन करता है. वो भारत आते ही बेईमान हो जाता है. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में जो भारतीय रहते हैं वो वहां बहुत अनुशासित होते हैं. इसके लिए उनकी वहां तारीफ भी होती है, लेकिन जब ये लोग भारत आते हैं तो सबकुछ बदल जाता है. 

उदाहरण के लिए 21 दिसंबर को ब्रिटेन से भारतीय मूल की एक महिला दिल्ली पहुंची. ये महिला न सिर्फ कोरोना पॉज‍िटिव थी, बल्कि इसके शरीर में कोरोना वायरस का वो नया स्‍ट्रेन भी था. जिसने इस समय पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. लेकिन ये महिला अचान क्वारंटीन टीन  सेंटर से भाग गई और ट्रेन के जरिए इसने दिल्ली से आंध्र प्रदेश तक का 1800 किलोमीटर लंबा सफर तय किया.  अगर इस महिला ने ब्रिटेन में ये नियम तोड़ा होता, तो उस ऊपर 5 लाख रुपये का जुर्माना लग गया होता. 

अब आप सोचिए इस दौरान इस महिला के संपर्क में न जाने कितने लोग आए होंगे और आज उन सभी लोगों पर कोरोना वायरस  के नए स्‍ट्रेन  से संक्रमित होने का खतरा है. 

बेईमानी और नियमों का उल्लंघन करना एक अंधेरी सुरंग में सफर करने जैसा है. सुविधाएं, आपके जीवन को बेहतर बनाने के लिए होती है. इसलिए नहीं होती कि आप इनका दुरुपयोग करें और अपने साथ साथ दूसरों को भी परेशानी में डाल दें. भारत में बिजली पहुंचाई जाती है, तो लोग उसकी चोरी करने लगते हैं.  सस्ता या मुफ्त में इंटरनेट दिया जाता है तो लोग उसका भी दुरुपयोग करने लगते हैं.  इसे आप एक मजेदार उदाहरण से समझिए.

अनुशासन की उम्मीद करना बहुत ही मुश्किल

आपको भी सुबह सुबह Whatsapp पर Good Morning Message आते होंगे. फूल पत्तियों, छोटे बच्चों और पक्षियों की तस्वीरों के साथ आने वाले ये मैसेज भेजने वाला अक्सर इस बात की परवाह भी नहीं करता कि सामने वाले को इसमें कोई दिलचस्पी है भी या नहीं. इसी तरह Internet Banking की सुविधा देकर, लोगों का जीवन आसान बनाने की कोशिश की गई थी. लेकिन आज इंटरनेट के जरिए होने वाले Banking Fraud के मामले में भारत, मैक्सिको, ब्राजील, और अमेरिका के बाद चौथे नंबर पर है.

कुल मिलाकर भारत में विकास तो संभव है. लेकिन इस विकास को सम्मान देने वाले अनुशासन की उम्मीद करना बहुत ही मुश्किल है. अगर आज किसी व्यक्ति को यमराज लेने आ जाएं और वो उससे पूछें कि बताओ तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है और अगर वो व्यक्ति कह दे कि मैं भारत के लोगों को अनुशासन का पालन करते हुए देखना चाहता हूं, तो शायद यमराज मुस्कुराते हुए कहेंगे कि सीधे सीधे बोलो न कि तुम अमर होना चाहते हो. 

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