दिल्ली के साथ ही नोएडा-गाजियाबाद में बारिश, सामने आया मौसम का पूर्वानुमान
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दिल्ली के साथ ही नोएडा-गाजियाबाद में बारिश, सामने आया मौसम का पूर्वानुमान

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों में मौसम ने अचानक करवट ली और थोड़ी देर तक बरसात हुई. हालांकि उससे पहले काफी समय तक बदरा उमड़ते घुमड़ते रहे. इस बारिश से लोगों को गर्मी से भी निजात बढ़ी, जो लगातार बढ़ती ही जा रही थी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों में मौसम ने अचानक करवट ली और थोड़ी देर तक बरसात हुई. हालांकि उससे पहले काफी समय तक बदरा उमड़ते घुमड़ते रहे. इस बारिश से लोगों को गर्मी से भी निजात बढ़ी, जो लगातार बढ़ती ही जा रही थी. फिलहाल थोड़ी बारिश से लोगों के चेहरे खिल गए हैं. 

दिल्ली में मौसम हुआ सुहाना, तेज हवा और बारिश ने की गर्मी कम

राजधानी दिल्ली में तेज रफ्तार से धूल भरी हवाएं चल रही हैं और हल्की हल्की बूंदाबांदी हो रही है. मौसम विभाग ने पहले ही साफ कर दिया था कि राजधानी दिल्ली में आज और कल का मौसम बना रहेगा और कल भी तेज हवाएं चलेंगी. इस बीच हल्की हल्की बूंदाबांदी हो सकती है. राजधानी दिल्ली में इस वक्त तकरीबन 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धूल भरी तेज हवा चल रही है. तेज हवाओं के वजह से राजपथ पर रखे बेरिकेट भी गिर गए है. यही हाल नोएडा और गाजियाबाद का भी है.

इस साल देश में सामान्य रहेगा मानसून

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि देश में 75 प्रतिशत से अधिक वर्षा लाने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून के इस साल सामान्य रहने का अनुमान है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने बताया कि पांच प्रतिशत कम या ज्यादा की त्रुटि की गुंजाइश के साथ दीर्घावधि औसत (एलपीए) 98 प्रतिशत रहेगा. राजीवन ने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जून से सितंबर के बीच चार महीने के दौरान वर्षा के लिए पूर्वानुमान को जारी किया. उन्होंने कहा कि ओडिशा, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और असम में सामान्य से कम बारिश होगी लेकिन देश के शेष हिस्सों में बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक होगी. राजीवन ने कहा, 'मॉनसून दीर्घावधि औसत का 98 प्रतिशत रहेगा, जो कि सामान्य वर्षा है. यह देश के लिए अच्छी खबर है और इससे कृषि क्षेत्र से अच्छे परिणाम मिलेंगे.' यह सूचना कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए भी शुभ है. दक्षिण-पश्चिम मानसून को देश की अर्थव्यवस्था में अहम माना जाता है क्योंकि अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर बहुत हद तक निर्भर करती है.

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अल-नीनो की संभावना कम है

देश का बड़ा हिस्सा कृषि और जलाशयों के भरने के लिए चार महीने तक चलने वाले मॉनसून के मौसम पर निर्भर करता है. बरसात के बीते दो मौसम में देश में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. राजीवन ने कहा कि आईएमडी अगले चार महीनों के दौरान माह-वार के पूर्वानुमान भी जारी करेगा. आईएमडी के चार प्रभागों उत्तर पश्चिम भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के लिए भी पूर्वानुमान जारी किया जायेगा. ला नीना और अल नीनो कारक भारतीय मानसून पर प्रमुख प्रभाव डालते हैं. राजीवन ने कहा, 'अल नीनो के बनने की संभावना कम है.' उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, ला नीना के बाद के वर्ष में आमतौर पर सामान्य वर्षा का मौसम देखा गया है. मौसम संबंधी पूर्वानुमान व्यक्त करने वाली निजी एजेंसी 'स्काइमेट वेदर' ने हाल में कहा था इस साल मानसून सामान्य रहेगा. हालांकि, एजेंसी ने कहा था कि जून से सितंबर के दौरान वर्षा का दीर्घावधि औसत (एलपीए) 103 प्रतिशत रहेगा. दीर्घावधि औसत के हिसाब से 96-104 प्रतिशत के बीच मानसून को सामान्य माना जाता है. (इनपुट एजेंसी भाषा के साथ)

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