शादी का निमंत्रण पत्र लोगों के बीच बना चर्चा का विषय, कुछ ऐसा फील देता है कार्ड
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शादी का निमंत्रण पत्र लोगों के बीच बना चर्चा का विषय, कुछ ऐसा फील देता है कार्ड

शादी को लोग खास तरीके से मनाने के लिए काफी पैसा और समय खर्च करते हैं जिससे समाज में नाम हो. इसमें शादी का कार्ड भी बहुत अहमियत रखता है. 

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देवेंद्र मिश्रा/धमतरी: छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर में एक शादी का निमंत्रण पत्र लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल इस निमंत्रण का सारा मजमून ठेठ छत्तीसगढ़ी में लिखा है जो दिलचस्प होने के साथ छत्तीसगढ़िया प्राइड की फीलिंग भी देता है. 

  1. छत्तीसगढ़िया बोली में छपा शादी का कार्ड 
  2. छत्तीसगढ़िया प्राइड की दे रहा फीलिंग 
  3. ठेठ छत्तीसगढ़ी भाषा में छपा है शादी का कार्ड

ठेठ छत्तीसगढ़ी भाषा में छपा है शादी का कार्ड 

धमतरी के जालमपुर वार्ड में रहने वाले टीकाराम सिन्हा अपने बेटे की शादी कर रहे हैं तो जाहिर है उन्होंने लोगों को बुलाने निमंत्रण पत्र भी छपवाया. यही निमंत्रण पत्र अब धमतरी में चर्चा में है. चर्चा में रहने की वजह है कार्ड में प्योर और ठेठ छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग किया गया है. जिन्हें भी ये निमंत्रण पत्र मिला, वो इसे पढ़ कर खुशी और गर्व दोनों का अहसास कर रहा है. 

छत्तीसगढ़िया का एक्सेंट देता है अलग पहचान 

कहते हैं कि भारत देश में हर 6 कोस में बोली या भाषा बदल जाती है और वैसे भी हमारे देश में  22 भाषाओं को मान्यता मिल चुकी है. छत्तीसगढ़ में ज्यादातर मैदानी इलाकों में बोली जाने वाली छत्तीसगढ़िया बोली ही है. हालांकि इसमें भी कुछ हिंदी, कुछ उड़िया कुछ अवधी और कुछ भोजपुरिया शब्द मिल जाते है लेकिन छत्तीसगढ़िया को इसका एक्सेंट अलग पहचान देता है. दो छत्तीसगढ़ी आदमी जब ठेठ बोली में बोलते हैं तो इसकी मधुरता कानों में मानों शहद घोलती है. 

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छत्तीसगढ़िया के इन शब्दों का कार्ड में इस्तेमाल 

आम तौर पर हिंदी भाषी इलाकों में शादी के कार्ड में संस्कृत के श्लोक के साथ साहित्यिक हिंदी शब्दों का उपयोग दिखता है. कुछ लोग अंग्रेजी में निमंत्रण भेजना भी अपनी शान समझते हैं. ये पहली बार है कि जब किसी ने छत्तीसगढ़ी में कार्ड छपवाया और न्योता भेजा. इसमे विवाह की जगह बिहाव है, दादा को बबा, पिता को ददा और मां को दाई, फेरों को भांवर, मंडपाच्छादन को मड़वा पूजा लिखा गया है. इसके साथ ही लोक-मुहावरों के जरिये पार्टी में आने का समय बताया गया है. 

सिन्हा परिवार के बुजुर्गों ने बताया कि इस कार्ड को डिजाइन करने के लिए 3 दिन तक मेहनत करनी पड़ी. 

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