पश्चिम बंगाल चुनाव (West Bengal Election) के लिए बीजेपी मैदान में उतर चुकी है. नेताओं को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है इसके अलावा दिल्ली से स्पेशल टीम-7 भी भेजी जा रही है.
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के विधानसभा चुनावों में पूरी ताकत झोंकने को तैयार बीजेपी (BJP) ने चुनाव को लेकर न केवल पूरा मास्टर प्लान (Masterplan) बना लिया है, बल्कि इसकी जिम्मेदारियां भी संबंधित नेताओं को सौंप दी गईं हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को मात देने के लिए बीजेपी ने राज्य के हर मतदाता तक पहुंचने से लेकर उनके दिल में जगह बनाने तक के लिए माइक्रो लेवल पर रणनीति बनाई गई है. इसके लिए पूरे राज्य को पांच क्षेत्रों में विभाजित किया गया है और राज्य के नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया गया है.
इन नेताओं को मिली जिम्मेदारी
राज्य में कुल 23 जिले हैं, जिन्हें 5 क्षेत्रों में बांटा गया है. ये क्षेत्र हैं - उत्तर बंगाल, नवादीप, कोलकाता, मेदनीपुर और रार बंगा. इसमें सबसे ज्यादा 8 जिलों वाले उत्तर बंगाल क्षेत्र के पर्यवेक्षक सयंतन बसु हैं. वहीं नवाद्वीप क्षेत्र की जिम्मेदारी बिस्वाप्रियो रॉय चौधरी, कोलकाता जोन की संजय सिंह, मेदनीपुर की ज्योतिर्मय सिंह महतो और रार बंगा की जिम्मेदारी राजू बनर्जी को सौंपी गई है.
'स्पेशल टीम 7' भी मैदान में
5 क्षेत्रों के पर्यवेक्षक नियुक्त करने के अलावा बीजेपी हाईकमान ने पश्चिम बंगाल में एक स्पेशल टीम 7 भी बनाई है. इसमें 7 केंद्रीय नेता- संजय बालियान, गजेंद्र शेखावत, अर्जुन मुंडा, मनसुख मंडाविया, केशव मौर्य, प्रधान सिंह पटेल और नरोत्तम मिश्रा हैं. इन नेताओं में से हर एक को 6 लोकसभा सीटों का प्रभार दिया गया है. इस तरह पश्चिम बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों पर ये नेता सीधे तौर पर नजर रखेंगे.
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रोजाना मतदाताओं के घर पर करेंगे लंच
मतदाताओं से जुड़ने के तरीकों को लेकर भी नेताओं को दिशा-निर्देश दिए गए हैं. चुनावी मास्टर प्लान के तहत नेता रोजाना दोपहर का भोजन स्थानीय मतदाताओं के घर पर करेंगे. इस दौरान उन्हें परिवार के साथ स्थानीय मुद्दों पर बातचीत करने के लिए कहा गया है. वैसे भी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और अमित शाह (Amit Shah) अपनी सभी बंगाल यात्राओें के दौरान स्थानीय लोगों के घर पर लंच करते आ रहे हैं.
दलित, किसान, मजदूर पर नजर
राज्य में अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए दलितों, किसानों, मजदूरों, आदिवासियों से मिलने, उनकी अपेक्षाओं और चुनौतियों को समझने के लिए कहा गया है. यही वजह है कि नड्डा और शाह अपनी यात्राओं में इसी तबके के लोगों के घरों में पहुंचे. इसके जरिए SC, ST और OBC वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश है.
बुद्धिजीवियों-कलाकारों को साध रहे
ममता बनर्जी ने बाहरी कहकर जो कटाक्ष किया है, उससे निपटने के लिए अब बीजेपी खुद को बंगाल की स्थानीय संस्कृति में स्थापित करने की कोशिश कर रही है. इसके लिए नेताओं को बंगाल के बुद्धिजीवियों के साथ जुड़ने और कलाकारों से मिलने के लिए कहा गया है. इस क्रम में बाकायदा इस वर्ग के लोगों के साथ बैठकें की जानी हैं. इस दिशा में काम करते हुए पहले ही शाह और नड्डा दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कालीघाट मंदिर समेत कई स्थानीय मंदिरों में मत्था टेक आए हैं. इतना ही नहीं बिरसा मुंडा से लेकर खुदीराम बोस और स्वामी विवेकानंद से लेकर रवींद्रनाथ टैगोर तक को सभी नेताओं ने श्रद्धांजलि भी दी हैं.
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