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DNA: लखनऊ में तैयार हुई 'ब्रह्मोस NG' में ऐसा क्या है खास? जिससे PAK-चीन दोनों में बढ़ गई है दहशत

DNA on BrahMos Next Generation: लखनऊ में तैयार हुई ब्रह्मोस एनजी ऐसी घातक मिसाइल है, जिसे पाकिस्तान के साथ ही चीन भी अपने लिए बड़ा खतरा मान रहा है. उनके लिए दिक्कत इस बात की है कि अगर एक बार ये मिसाइल लॉन्च हो गई तो फिर इसे रोक पाना लगभग नामुमकिन है. 

 

DNA: लखनऊ में तैयार हुई 'ब्रह्मोस NG' में ऐसा क्या है खास? जिससे PAK-चीन दोनों में बढ़ गई है दहशत

Features of BrahMos NG: तालिबान और पाकिस्तान के बीच चल रहे हिंसक संघर्ष में भारत ने अपना पक्ष साफ कर दिया है. भारत..अफगानिस्तान के साथ खड़ा है. जहां तक मुनीर की धमकी का सवाल है तो ये भी तय है कि अगर पाकिस्तान की तरफ से हिंदुस्तान के खिलाफ कोई साजिश रची जाती है तो उसका जवाब फिर एक बार ब्रह्मोस से दिया जा सकता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस ब्रह्मोस का इस्तेमाल हुआ था, अब उससे भी एडवांस वर्जन भारत ने तैयार कर लिया है.  ये एडवांस वर्जन योगी आदित्यनाथ के प्रदेश यूपी में बना है.

ब्रह्मोस का एडवांस वर्जन हुआ तैयार

शनिवार का दिन भारत की रक्षा तैयारियों के लिए स्वर्णिम दिन रहा. दिवाली से पहले देश की रक्षा तैयारियों ने एक नए मुकाम को छुआ. दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस के एडवांस वर्ज़न की पहली खेप को आज रवाना किया गया.

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5 महीने में ही तैयार हुई नई खेप

यानी अब सेना इसका इस्तेमाल कर सकती है. इस मिसाइल को दुश्मनों के ख़िलाफ़ तैनात कर सकती है. ख़ास बात ये है कि ब्रह्मोस का ये एडवांस वर्ज़न यानी ब्रह्मोस NG 'मेड इन लखनऊ' है. इसी साल मई में इस यूनिट का उद्घाटन किया गया था और पांच महीने में ही इसने मिसाइल की पहली खेप सेना को भेज दी. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश ने देश की रक्षा तैयारियों के मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर लिया है.

हर साल बनेंगी 100 ब्रह्मोस मिसाइलें

लखनऊ में फिलहाल हर साल 100 ब्रह्मोस NG मिसाइलें बनकर तैयार होंगी. इन्हें सुखोई के साथ-साथ तेजस में इंटीग्रेट किया जाएगा. लखनऊ में जो ब्रह्मोस मिसाइल बन रही हैं वो एयर टू सरफेस वर्ज़न है यानी हवा से सतह में मार करने वाली मिसाइल हैं. भविष्य में इसके दूसरे वेरिएंट तैयार किए जाने की भी संभावना है.

लखनऊ में लगभग 380 करोड़ रुपये की लागत से 200 एकड़ ज़मीन पर ब्रह्मोस की ये नई यूनिट बनाई गई है. आपको ब्रह्मोस मिसाइल के दोनों वर्ज़न के बीच अंतर के बारे में भी जानना चाहिए. कैसे ब्रह्मोस NG भारत के दुश्मनों के लिए पहले से ज़्यादा ख़तरनाक है.

पहले के मुकाबले ज्यादा ताकतवर

ब्रह्मोस के पुराने वर्ज़न का वज़न करीब 3 टन था लेकिन NG वर्ज़न का वजन 1.5 टन है यानी पहले से 50 प्रतिशत कम. ब्रह्मोस के पुराने वर्ज़न की लंबाई 9 मीटर है जबकि NG वर्ज़न 6 मीटर लंबा है...यानी पहले से 33 प्रतिशत छोटा है. ब्रह्मोस के पुराने वर्ज़न की रफ़्तार 3 मैक थी यानी हवा से 3 गुना तेज वहीं नए वर्ज़न की रफ़्तार 3.5 मैक है.

लागत में भी पड़ेगी सस्ती

ब्रह्मोस के पुराने वर्ज़न की लागत लगभग 20-25 करोड़ प्रति मिसाइल थी जबकि नए वर्ज़न की लागत 15-18 करोड़ होने का अनुमान है. ब्रह्मोस के नए खेप को फ्लैग ऑफ करने के मौक़े पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यूपी की बदलती तस्वीर का भी ज़िक्र किया. साथ ही पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी भी दी कि उसने अगर कोई हिमाकत करने की कोशिश की तो भारत उसका भूगोल बदलकर रख देगा. 

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Devinder Kumar

अमर उजाला, नवभारत टाइम्स और जी न्यूज चैनल में काम कर चुके हैं. अब जी न्यूज नेशनल हिंदी वेबसाइट में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और जियो पॉलिटिकल मामलों पर गहरी पकड़ हैं....और पढ़ें

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