मां के दिल से बड़ी कोई जगह नहीं...उपलब्धि पर भावुक हुईं CJI बीआर गवई की मां, क्या है बेटे से उम्मीद?
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मां के दिल से बड़ी कोई जगह नहीं...उपलब्धि पर भावुक हुईं CJI बीआर गवई की मां, क्या है बेटे से उम्मीद?

CJI BR Gavai: भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण रामकृष्ण गवई की मां कमलताई गवई ने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि वह लोगों को न्याय देने का काम करेंगे. इसके अलावा क्या कुछ कहा जानते हैं. 

मां के दिल से बड़ी कोई जगह नहीं...उपलब्धि पर भावुक हुईं CJI बीआर गवई की मां, क्या है बेटे से उम्मीद?

CJI BR Gavai: मां की ममता किसी से छिपी नहीं है. मां ही है जो हर परिस्थिति में अपने बच्चों के साथ खड़ी रहती है. बच्चों को भूख ज्यादा लगी हो तो मां अपना पेट काटकर बच्चों को खिला देती है. बेटा कितना भी बड़ा मुकाम हासिल कर ले लेकिन मां की नजरों में वो एक बेटा ही रहता है. ऐसा ही कुछ हाल भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण रामकृष्ण गवई की मां कमलताई गवई का है, उन्होंने ने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि वह लोगों को न्याय देने का काम करेंगे. 

हर मां-बाप की यही इच्छा होती है कि उनका बेटा बड़ा आदमी बने, सम्मान पाए और देश के लिए कुछ अच्छा करे. मेरी भी यही उम्मीद है. बता दें कि जस्टिस गवई ने 14 मई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. वह देश के दूसरे दलित सीजेआई बने हैं। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन 2007 में इस पद पर आसीन हुए थे, जो पहले दलित सीजेआई थे. इसके अलावा, जस्टिस गवई ने हाल ही में कहा कि वह देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश भी हैं.

भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ. उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और जल्द ही अपनी प्रतिभा और प्रतिबद्धता से न्यायिक सेवा में उत्कृष्ट पहचान बनाई. जानकारी के अनुसार, 1993 से लेकर 2000 तक वे सरकारी वकील और लोक अभियोजक के तौर पर सेवाएं देते रहे. 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश और 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने के बाद वह लगभग 700 पीठों का हिस्सा रहे, जिनमें उन्होंने संविधान, आपराधिक, पर्यावरण, शिक्षा जैसे क्षेत्रों से जुड़े मामलों में कई ऐतिहासिक फैसले दिए.

जस्टिस गवई ने मंगोलिया, अमेरिका, ब्रिटेन और केन्या जैसे देशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. वह कोलंबिया और हार्वर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दे चुके हैं. उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक यानी सात महीने का रहने वाला है. कमलताई गवई की भावुक प्रतिक्रिया और बेटे की उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि परिश्रम, प्रतिभा और धैर्य के साथ कोई भी व्यक्ति समाज और देश में सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है. (आईएएनएस)

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