अनुच्छेद 370 हटने का कश्मीर में दिखा ऐसा असर, जानें एक साल में आतंक की कैसे टूटी कमर
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 370 हटने के बाद आतंकवाद की घटनाओं में करीब 36% की गिरावट आई है.
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटाने वाले ऐतिहासिक फैसले को 5 अगस्त को एक वर्ष हो जाएगा. इस एक वर्ष में कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने का असर दिखने लगा है. कश्मीर में सुरक्षा हालात पहले से बेहतर हुए हैं. 5 अगस्त 2019, के बाद से घाटी में हिंसा में कमी आई है. आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबियां मिली हैं.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 370 हटने के बाद आतंकवाद की घटनाओं में करीब 36% की गिरावट आई है. पिछले साल (जनवरी से 15 जुलाई तक) घाटी में कुल 188 आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं हुई थीं, वहीं इस साल इसी अवधि में 120 आतंकी घटनाएं हुईं. इस अवधि में 2019 में 126 आतंकी मारे गए, जबकि इस साल इसी अवधि में 136 आतंकियों का खात्मा हुआ. पिछले साल घाटी में 51 ग्रेनेड हमले हुए वहीं इस साल 15 जुलाई तक 21 ग्रेनेड हमले हुए.
रिपोर्ट की मानें तो पिछले साल कश्मीर में हुए आतंकी हमलों में 23 आम नागरिक मारे गए जबकि 75 सुरक्षबलों के जवान शहीद हुए. वहीं इस साल 22 आम नागरिक मारे गए और 35 जवान शहीद हुए.
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अगर IED हमलों की तुलना करें तो इस अवधि में पिछले साल 6 IED हमले हुए, वहीं इस साल 15 जुलाई तक केवल 1 IED हमला हुआ.
आतंक की कमर टूटी
रिपोर्ट में कहा गया है कि मारे गए आतंकियों में 110 स्थानीय आतंकी थे और बाकी पाकिस्तान से थे. मारे गए आतंकियों में सबसे अधिक 50 से ज्यादा आतंकी हिज्बुल मुजाहिद्दीन के थे. लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद से करीब 20-20 आतंकी मारे गए. वहीं ISJK और अंसार गजवात-उल-हिंद के 14 आतंकी मारे जा चुके हैं.
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इस एक साल में सुरक्षाबलों को मिली कामयाबी में हिज्बुल मुजाहिद्दीन का कमांडर रियाज नाइकू, लश्कर का कमांडर हैदर, जैश का कमांडर कारी यासिर और अंसार गजवात-उल-हिंद का बुरहान कोका भी मारे गए. इसके अलावा 22 आतंकी और करीब उनके 300 मददगार गिरफ्तार किए गए.
इस एक साल में 22 आतंकी ठिकानों का पता लगाया गया और करीब 190 हथियार पकड़े गए. जिसमें अधिकतर AK-47 शामिल हैं. इतना ही नहीं कश्मीर अनुच्छेद 370 हटने के बाद से स्थानीय युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने में भी 40% की कमी आई है, इस साल केवल 67 युवाओं को बरगला कर आतंक की राह पर भेजा गया.
वहीं, आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा देने वाली हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को भी इसी साल करार झटका लगा जब उसके नेता सैयद अली शाह गिलानी ने खुद को हुर्रियत कांफ्रेंस से अलग किया.