अरे साहब! रिवॉल्‍वर और पिस्‍टल नहीं एक बात, दोनों में होता है ये बड़ा अंतर
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अरे साहब! रिवॉल्‍वर और पिस्‍टल नहीं एक बात, दोनों में होता है ये बड़ा अंतर

वैसे तो पिस्टल और रिवॉल्वर दोनों ही हैंडगन मतलब हाथ में आसानी से आने वाले हथियार हैं. लेकिन इनके सिस्टम और आकार के बीच काफी फर्क है जो जानना बेहद जरूरी है. आज हम आपको इन दोनों के बीच का अंतर बताने जा रहे हैं.

रिवॉल्वर और पिस्टल में क्या अंतर होता है

नई दिल्ली: आजकल घरों में कई लोग लाइसेंसी हथियार रखते हैं. पहले के जमाने में बड़ी दो नाली बंदूक रखने का चलन था लेकिन मौजूदा दौर में पिस्टल और रिवॉल्वर जैसे छोटे हथियारों ने इसकी जगह ले ली है. पुलिस कर्मियों से लेकर आत्मरक्षा के लिए हस्तियों के प्राइवेट गार्ड्स भी पिस्टल या फिर रिवॉल्वर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन लगभग एक जैसे दिखने वाले इन दोनों हथियारों के बीच का अंतर हम आज आपको बताते हैं.

  1. पिस्टर और रिवॉल्वर में क्या फर्क?
  2. रिवॉल्वर है हैंडगन का ओल्ड वर्जन
  3. दोनों के सिस्टम में होता है अंतर

वैसे तो पिस्टल और रिवॉल्वर दोनों ही हैंडगन मतलब हाथ में आसानी से आने वाले हथियार हैं. लेकिन इनके सिस्टम और आकार के बीच काफी फर्क है जो जानना बेहद जरूरी है. गोलियों को गन में डालने और उनके स्टोरेज का तरीका भी अलग है, इसके अलावा फायर करने का तरीका भी इन्हें एक-दूसरे से जुदा करता है.

पिस्टल

सबसे पहले आपके पिस्टल के बारे में बताते हैं क्योंकि यह हैंडगन का एडवांस वर्जन होता है. इसमें मैगजीन होती है जिसमें गोलियां स्टोर की जाती हैं. फायर करते वक्त स्प्रिंग की मदद से गोली मैगजीन से निकलकर फायर पॉइंट पर आती है. पिस्टल से गोलियां चलाते वक्त उसे लोड करने में ज्यादा टाइम नहीं लगता और लगातार एक के बाद एक फायर किए जा सकते हैं. इसके अलावा लॉक सिस्टम के जरिए मैगजीन को बंद भी किया जाता है ताकि लापरवाही में पिस्टल से अपने आप फायर न हो जाए.

पिस्टल की बैरल काफी छोटी होती है और इसकी लंबाई 10 इंच से ज्यादा नहीं होती. आमतौर पर यह 50 मीटर तक फायर कर सकती है. अगर वजन की बात करें तो पिस्टल का वजन रिवॉल्वर से कम होता है क्योंकि इसमें गोली के स्टोर करने के लिए अलग सिलेंडर न होकर हैंडल में ही मैगजीन लगी होती है.

रिवॉल्वर

रिवॉल्वर गन पिस्टल का थोड़ा पुराना वर्जन माना जाता है. जैसा कि नाम से ही साफ है इसमें एक रिवॉल्विंग सिलेंडर लगा होता है जिसमें गोलियां सेट करनी पड़ती हैं. फायर करने से पहले सिलेंडर घुमाया जाता है ताकि ट्रिगर पॉइंट के सामने गोली आ जाए और हिट होने के साथ ही फायर हो जाए. ट्रिगर दबाने के साथ ही हैमर सिलेंडर में लगी गोली को हिट करता है और गोली बैरल को पार करते हुए फायर हो जाती है.

रिवॉल्वर से एक गोली चलने के साथ ही बैरल के पीछे लगा सिलेंडर खुद घूम जाता है और अगली गोली ट्रिगर पॉइंट पर आ जाती है. इसमें सिलेंडर ही मैगजीन का काम करता है जो पिस्टल की तरह हैंडल पर न होकर बीच में लगा होता है.

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आम तौर पर रिवॉल्वर एक बार में 6 फायर कर सकती है लेकिन पिस्टल की मैगजीन में 18 गोलियां आ सकती हैं. रिवॉल्वर चलाना पिस्टल की तुलना में ज्यादा कठिन है क्योंकि इसका ट्रिगर थोड़ा टाइट चलता है. अगर को गोली फायर नहीं हुई तो रिवॉल्वर से उसे बाहर निकालने पिस्टल की तुलना में ज्यादा आसान होता है.

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