DNA: कौन हैं देश के 'राष्ट्रतोड़क'; क्या है इस शब्द के मायने
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DNA: कौन हैं देश के 'राष्ट्रतोड़क'; क्या है इस शब्द के मायने

DNA Analysis: आतंकियों और कट्टरपंथियों के इशारे पर देश में दंगा फैलाने वालों को आप देश तोड़क गैंग भी कह सकते हैं. अमेरिका के प्रसिद्ध नेता निक लैम्पसन (Nick Lampson) ने कहा था कि देश के लिये अपनी जिंदगी को खतरे में डालने से महान कोई काम नहीं होता और सिर्फ राष्ट्रनायक ही ऐसा कर पाते हैं. इसके ठीक उलट आज एक नया शब्द आया है राष्ट्र-तोड़क. इसका इस्तेमाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया और उन्होंने इस शब्द की विस्तार से व्याख्या भी की है.

DNA: कौन हैं देश के 'राष्ट्रतोड़क'; क्या है इस शब्द के मायने

DNA Analysis: आतंकियों और कट्टरपंथियों के इशारे पर देश में दंगा फैलाने वालों को आप देश तोड़क गैंग भी कह सकते हैं. अमेरिका के प्रसिद्ध नेता निक लैम्पसन (Nick Lampson) ने कहा था कि देश के लिये अपनी जिंदगी को खतरे में डालने से महान कोई काम नहीं होता और सिर्फ राष्ट्रनायक ही ऐसा कर पाते हैं. इसके ठीक उलट आज एक नया शब्द आया है राष्ट्र-तोड़क. इसका इस्तेमाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया और उन्होंने इस शब्द की विस्तार से व्याख्या भी की है.

योगी के बयान के बाद मुद्दा राष्ट्र जोड़क VS राष्ट्र तोड़क का हो गया है. सबसे पहले आप योगी की राष्ट्र-तोड़क वाली परिभाषा सुनिये. इसके बाद हम DNA में राष्ट्र-तोड़क गैंग का विश्लेषण करेंगे.मुख्यमंत्री योगी ने अपने भाषण में दो किरदारों की बात की. पहले नंबर पर छत्रपति शिवाजी महाराज और दूसरा मोहम्मद अली जिन्ना. ये दोनों किरदार अलग-अलग समय पर भारत में रहे. लेकिन इनके कर्मों की वजह से एक को राष्ट्र जोड़क. दूसरे को राष्ट्रतोड़क की कैटेगिरी में रखा जाता है.

वैसे तो राष्ट्रतोड़क की परिभाषा बताने की जरूरत नहीं है. आप भी अक्सर अपने आस-पास ऐसे लोगों के नाम सुने होंगे या उन्हें देखते होंगे. कुछ दंगा-फसाद करवाने वालों की शक्ल में हैं. कभी पत्थरबाजी करते हैं. कोई अर्बन नक्सल है और कोई टुकड़े-टुकड़े गैंग है. इस लिस्ट में वो गिरोह भी शामिल हैं जो देश विरोधियों को अपना समर्थन देकर उन्हें बढ़ावा देता है. पर आज योगी राष्ट्रतोड़क शब्द लेकर क्यों लाये ये जान लीजिए.

ये लड़ाई राष्ट्र जोड़क वर्सेस राष्ट्र तोड़क की है. सरदार वल्लभभाई पटेल ने बंटवारे के बाद देश को एक सूत्र में बांधने में बड़ी भूमिका निभाई. यानी वो राष्ट्र जोड़क हैं. जबकि जिन्ना ने देश का बंटवारा किया यानी वो राष्ट्र तोड़क हैं. इसके बाद भी देश का एक खास तबका जिन्ना से प्रेम करता है. लेकिन राष्ट्र को जोड़ने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे राष्ट्र नायकों के योगदान को अनदेखा करता रहा है.आज योगी ने जिन्ना के साथ उन नेताओं को भी राष्ट्रतोड़क बताया जो जिन्ना प्रेमी हैं.

हाल में औरंगजेब की कब्र को लेकर भी जमकर विवाद हुआ. आपको जानना चाहिए कि जिस औरंगजेब ने भारत में हिंदू मंदिरों को तुड़वाया. सनातन धर्म माननेवालों पर अत्याचार किया. उसका नाम लेकर भारत में ही कुछ नेता अपने वोटबैंक को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं. आज राष्ट्र जोड़क VS राष्ट्र तोड़क मुद्दे पर आपको लोगों की राय भी सुननी चाहिए.

राष्ट्रतोड़क जिन्ना के बाद सीएम योगी ने मुर्शिदाबाद का मुद्दा उठाया. जहां वक्फ के बहाने दंगा-फसाद हुआ.  पर इस दंगे का टारगेट हिंदू थे. इसलिये इसपर बयानबाजी नहीं हो रही. राष्ट्रतोड़क गैंग मौन है. भारतीय राजनीति का ये वो टॉपिक है जिसपर खुद को सेक्युलर बताने वाले नेता किसी तरह का कोई कमेंट नहीं करना चाहते हैं. योगी का मैसेज है कि अगर मुर्शिदाबाद में दंगा-फसाद के मुद्दों पर हम मौन रहेंगे तो ये राष्ट्र तोड़क गैंग को और बढ़ावा देगा. भविष्य में ऐसी और समस्याएं सामने आ सकती हैं. योगी ने राष्ट्र तोड़क की परिभाषा क्लियर कर दी है. अब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की परिभाषा भी सुन लीजिए.

बंगाल के मुर्शिदाबाद में दंगों के बाद अबतक 500 से ज्यादा हिंदुओं के पलायन की खबरें आई हैं. दो लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि असली आंकड़ा इससे ज्यादा भी हो सकता है. इस दुर्दशा के बाद आज मुर्शिदाबाद के पीड़ितों की मुलाकात बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस से हुई. लेकिन जब बंगाल की मुख्यमंत्री से इस पर सवाल पूछा गया तो उन्हें पीड़ितों का सवाल बीजेपी का लगा. ममता बनर्जी के बयानों के बाद राष्ट्र जोड़क और राष्ट्र तोड़क का मुद्दा और जोर पकड़ सकता है. राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है जिसके ज़रिए लोग अपने देश के प्रति समर्पण और निष्ठा दिखाते हैं.  यही भावना लोगों को एकता के सूत्र में बांधती है..यानी भारत को राष्ट्र तोड़क की नहीं राष्ट्र जोड़क की जरूरत है..

आज की राजनीति के शब्दकोष में राष्ट्र तोड़क और राष्ट्र जोड़क जैसे शब्द जिस वजह से आई है उसके केंद्रबिंदु में फिलहाल वक्फ कानून है इसी वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन करीब 1 घंटे की सुनवाई हुई. CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून पर जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दे दिया है. 
 
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज फिर से पैरवी की. सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस कानून पर किसी भी तरह की रोक का विरोध किया. तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट इस कानून पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से रोक लगाता है तो ये बेहद गंभीर और कठोर कदम होगा. सरकार ने लाखों सुझावों पर गौर करके इस कानून को लागू किया है. केवल याचिकाकर्ताओं की दलील के आधार पर इस कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती. सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ कानून का गलत फायदा उठाकर पूरे गांव को वक्फ घोषित कर दिया जाता है. 

इसपर CJI संजीव खन्ना ने कहा कि आपकी बात सही है लेकिन यहां स्थिति अलग है. कोर्ट आमतौर पर ऐसे कानून पर रोक नहीं लगाता.  लेकिन इसके साथ नियम ये भी है कि जब कोर्ट में सुनवाई चल रही हो ऐसा कुछ भी नहीं बदलना चाहिए जिससे लोगों की हितों पर असर हों.
इसपर CJI संजीव खन्ना ने कहा कि हम हम वक्त देने को तैयार हैं पर क्या आप यह आश्वासन दे सकते हैं कि वक्फ प्रॉपर्टी को डिनोटिफाई नहीं करेंगे. फिलहाल वक्फ बोर्ड और काउंसिल में कोई नियुक्ति नहीं होगी.

तुषार मेहता के इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने इस अपने आदेश में दर्ज किया और सुनवाई की अगली तारीख 5 मई तय कर दी. केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को ये आश्वासन दिया गया कि आज की सुनवाई के बाद अगले 7 दिनों के लिए देशभर में वक्फ कानून से जुड़े फैसले नहीं लिए जाएंगे. केंद्र सरकार की ओर से अगर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं तो वक्फ कानून के विरोध में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन जैसे दिग्गज वकील है. 

 

देश के कानून और संविधान का विरोध करने की आजादी सिर्फ हिंदुस्तान में ही है..क्योंकि यहां इंसानों के हित के लिए इंसान कानून बनाते हैं. अब सोचिए कि AI आपके लिए कानून बनाए तो विरोध करने वाले कहां जाएंगे क्योंकि अब दुनिया में AI लॉ की शुरूआत होने वाली है. दुबई के शासक और UAE के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने ऐलान किया है कि अब उनके देश में कानून बनाने, बदलने और जांचने का जिम्मा AI के हाथों सौंपा जाएगा. UAE कैबिनेट ने इसके लिए रेगुलेटरी इंटेलिजेंस ऑफिस नाम की एक नई संस्था को मंजूरी दी है. इसका मकसद एक ऐसा सिस्टम बनाना है जो देश की सभी फेडरल और लोकल कानूनों को आपस में जोड़े और साथ ही अदालतों के फैसलों, सरकारी नियमों और जनसेवा योजनाओं से कानूनों को लिंक करे. 

अब सवाल है कि ये सिस्टम करेगा क्या? इसका जवाब चौंकाने वाला है. ये AI कानून का असली असर रीयल टाइम में जांचेगा. यानी समाज पर क्या असर हुआ, अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आया. सब कुछ और इसके आधार पर AI खुद ही बताएगा कि कौन सा कौन सा कानून क्या हटाना है और कानून में क्या नया जोड़ना है.

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