DNA with Sudhir Chaudhary: पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में क्या फर्क है? ये दोनों नेता विरोधी पार्टियों से हैं और इनकी विचारधारा बिल्कुल अलग है. ये फर्क तो सब जानते हैं, लेकिन किसी भी इंसान या नेता के असली चरित्र का पता तब चलता है, जब वो कठिन दौर से गुजर रहा होता है.
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DNA with Sudhir Chaudhary: पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में क्या फर्क है? ये दोनों नेता विरोधी पार्टियों से हैं और इनकी विचारधारा बिल्कुल अलग है. ये फर्क तो सब जानते हैं, लेकिन किसी भी इंसान या नेता के असली चरित्र का पता तब चलता है, जब वो कठिन दौर से गुजर रहा होता है. भ्रष्टाचार के एक मामले में ED ने राहुल गांधी को 13 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है. राहुल गांधी ने कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं, पदाधिकारियों, लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को उस दिन पूछताछ के दौरान एक जुलूस निकालने के लिए दिल्ली बुलाया है.
यानी राहुल गांधी जब ED में पूछताछ के लिए पेश होंगे, तब वो अपने साथ सैकड़ों नेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं को लेकर जाएंगे. ये सभी नेता ED के दफ्तर के बाहर सत्याग्रह भी करेंगे. यानी राहुल गांधी ना हुए, महात्मा गांधी हो गए. ये सब करके गांधी परिवार देश को जांच एजेंसियों को ये बताना चाहता है कि देश के कानून उन पर लागू नहीं होते. वो एक ऐसे राजपरिवार की तरह हैं, जिसकी गर्दन तक कानून के लम्बे हाथ भी नहीं पहुंच सकते.
राहुल गांधी से मनी लॉन्ड्रिंग के जिस मामले में पूछताछ होनी है, वो एक पुराना मामला है, जिसे आप नेशनल हेराल्ड घोटाले के नाम से भी जानते हैं. इस मामले में एक बार पहले भी गांधी परिवार इसी तरह का शक्ति प्रदर्शन कर चुका है. 19 दिसंबर 2015 को जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी को इसी नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश होना था. तो कांग्रेस ने इस पेशी को एक राजनीतिक उत्सव बना दिया था.
उस समय कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं और सांसदों ने सोनिया और राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के दफ्तर से अदालत तक पैदल मार्च किया था. इस बार भी राहुल गांधी ऐसा ही करने वाले हैं. बस फर्क इतना है कि, इस बार राहुल गांधी को अदालत में पेश नहीं होना बल्कि उन्हें बाकी आम नागरिकों की तरह ED के दफ्तर में पूछताछ के लिए जाना है.
साल 2010 में जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्हें गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले की पूछताछ के लिए गांधीनगर बुलाया गया था तो वह पूछताछ के लिए अकेले SIT के दफ्तर गए थे और 9 घंटे की इस गहन पूछताछ में उनसे 100 से ज़्यादा सवाल पूछे गए थे. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इसे राजनीतिक उत्सव नहीं बनाया.
उस समय इस SIT के हेड थे, आर.के. राघवन, जो CBI के डायरेक्टर भी रह चुके हैं. उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी में इस पूछताछ से जुड़ी कई अहम बातों का ज़िक्र किया है. वो इसमें लिखते हैं कि, उस दिन मोदी को दो बार SIT के दफ्तर बुलाया गया था और उनसे 9 घंटे की लम्बी पूछताछ हुई थी.
हालांकि इस पूछताछ के बीच में जांच अधिकारी इतना थक गए थे कि उन्होंने मोदी को ब्रेक लेने के लिए कहा. लेकिन मोदी ने उनसे कहा कि वो कानूनी कार्रवाई के बीच में कोई ब्रेक नहीं लेंगे. और सारे सवालों के जवाब देकर जाएंगे.
क्योंकि उस समय जांच अधिकारी थक चुके थे, इसलिए उन्होंने चार घंटे का एक ब्रेक लिया. चार घंटे बाद मोदी को फिर से SIT के दफ्तर बुलाया. और उनसे रात 9 बजे से रात एक बजे तक फिर से पूछताछ की गई. इस पूछताछ के बाद जब वो वहां से बाहर निकले तो उनके चेहरे पर चिंता नहीं बल्कि मुस्कान थी. आर.के. राघवन बताते हैं कि उस दिन उनसे 100 से ज्यादा सवाल पूछे गए और मोदी ने हर सवाल का जवाब दिया था. ये पूरा घटनाक्रम उस समय हुआ था, जब देश में UPA की सरकार थी और सरकार का रिमोट कंट्रोल गांधी परिवार के पास था.
बड़ी बात ये है कि इस SIT को तब प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एक भी सबूत नहीं मिला था. ये मामला उस समय खारिज हो गया था. लेकिन इसके बावजूद उनसे 9 घंटे तक पूछताछ हुई और इस पूछताछ से पहले उन्होंने कहा था कि इस देश में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और वो SIT को उसकी जांच में पूरा सहयोग देंगे.
हालांकि कांग्रेस ने राहुल गांधी की पूछताछ को एक बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है और आज इस सिलसिले में कांग्रेस नेताओं की एक वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें 13 जून को होने वाले इस शक्ति प्रदर्शन के लिए रणनीति बनाई गई.