Bihar Nitish Kumar News: बिहार चुनाव में इस बार फिर से एनडीए नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है दूसरी तरफ कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन है. कहीं न कहीं यह चुनाव नीतीश बनाम लालू ही हो गया है. इस बीच, राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश ने बताया है कि सीएम नीतीश कुमार ने बिहार को दिया क्या है.
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बिहार के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण ने यह बताने की कोशिश की है कि नीतीश राज में बिहार को क्या-क्या मिला. एएनआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि बिहार आज उस स्टेज पर खड़ा है कि बस छलांग लगाना बाकी है. और ये नीतीश कुमार की वजह से है. 2005 में उन्होंने बिहार संभाला. बिहार तब तक देश का सबसे अशासित राज्य, विकास के पैमाने पर सबसे नीचे का राज्य, कानून-प्रशासन की दृष्टि से लाइलाज, दुनिया की मशहूर पत्र-पत्रिकाओं में लिखा जाता था कि इसका डेमोक्रेटिक तरीके से इलाज नहीं हो सकता है. उस राज्य को नीतीश कुमार ने ऊपर उठाया. कई चीजों में राष्ट्रीय औसत से अच्छा कर रहा है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कई विकसित राज्यों के मुकाबले बिहार ने बहुत तेजी से गरीबी कम की है.
जब उनसे सवाल किया गया कि हंगर इंडेक्स, पलायन और रोजगार की समस्या तो आज भी है. बिहार में उद्योग नहीं हैं और आज भी महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु से तो बहुत पीछे है. हरिवंश ने कहा कि आजादी के बाद बिहार की शुरुआत को देखिए तो कांग्रेस ने विकास यात्रा पर जो ग्रोथ मॉडल बनाया था, उसमें बिहार को सबसे हाशिए पर उन्होंने रखा. बिहार सबसे अधिक उस दौर में कृषि खाद्यान्न पैदा करने वाला राज्य था, अन्य दृष्टि से भी संपन्न था. लेकिन उस बिहार को कांग्रेस के दौर में कंगाल और खराब हालत में पहुंचा दिया गया.
उन्होंने कहा कि उस वक्त की सरकार ने तब पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा इन्वेस्ट किया. भाखड़ा नांगल बांध वहां बनाया लेकिन बिहार में कुछ नहीं बनाया... इसीलिए नीतीश कुमार आए तो उन्होंने राज्य के लिए स्पेशल स्टेटस मांगा.
तब 35 साल में मिला एक पुल
हरिवंश ने कहा कि 2005 से बिहार के विकास की कहानी शुरू होती है. जब यह सवाल किया गया कि 20 साल भी लंबा समय होता है कोर्स करेक्शन के लिए? इस पर हरिवंश ने कहा कि नॉर्थ और साउथ बिहार को जोड़ने के लिए एक पुल हुआ करता था. वो भी 1950-52 में बना था. दूसरा पुल 81 में जो बना पटना और उत्तर बिहार को जोड़ने के लिए. उसकी शुरुआत 67 में मिली जुली सरकार ने की थी. यानी एक पुल के लिए बिहार को 30-35 साल इंतजार करना पड़ा. आज दर्जनों पुल बन रहे हैं. नीतीश के कार्यकाल में 1100 पुल बने. उन्होंने सत्ता में आने पर कहा था कि कोई 4-6 घंटे में पटना पहुंच जाए, मैं वो इन्फ्रास्ट्रक्चर देना चाहता हूं.
पहले बंगाल से अलग हुआ बिहार
हरिवंश ने कहा कि बिहार ने तीन डिवीजन देखे हैं. पहले वह बंगाल से अलग हुआ, फिर ओडिशा से अलग हुआ फिर झारखंड उससे अलग हुआ. जब झारखंड अलग हुआ तो उस समय नारे लगते थे कि बिहार के पास क्या बचा- आलू, बालू और लालू. आलू का मतलब खेती, बालू ही बचा क्योंकि मिनरल तो झारखंड में चला गया और लालू जी प्रतीक थे कुशासन के.
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