Bihar Political Crisis: नीतीश कुमार आज दोपहर में आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. जबकि तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. लेकिन उससे पहले प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि 10 साल में ये नीतीश का छठा प्रयोग है और उनकी छवि काफी बदली है.
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Prashant Kishor On Nitish Kumar: 'पिछले 10 साल में बिहार में राजनीतिक अस्थिरता का जो दौर 2012-13 से चला है, ये भी उसी दिशा में एक कदम है.' ये कहना है चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का. बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद महागठबंधन के साथ सरकार बनाने जा रहे जेडीयू नेता नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, '10 साल में ये उनका 10वां प्रयोग है, उनकी छवि काफी बदली है, मैं उसी नजरिए से उसे देखता हूं.' नीतीश कुमार आज दोपहर में आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. जबकि तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
'2017 के बाद सहज नहीं दिखे नीतीश'
जब पूछा गया कि खबरें आ रही थीं कि नीतीश कुमार नाराज हैं, उनका बीजेपी के साथ मेल नहीं हो रहा है तो क्या ये सिर्फ नाराजगी थी या स्क्रिप्ट पहले लिखी जा चुकी थी? इस पर उन्होंने कहा, 'नाराजगी की बात नहीं है, मुझे जहां तक लगता है 2017 के बाद जिस फॉर्मेशन में नीतीश कुमार थे, उसमें वह मुझे कभी सहज नहीं लगे. लोगों के सामने भले ही पोजिशनिंग कैसी भी रही हो. जिस तरह का कम्फर्ट बीजेपी और जेडीयू के बीच साल 2005 और 2012-13 के बीच रहा, वैसा 2017 से 2022 तक नहीं दिखा.'
10 साल में नीतीश का छठा प्रयोग, उनकी छवि काफ़ी बदली है- प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार @PrashantKishor @thakur_shivangi #BiharPolitics pic.twitter.com/a86ypAHYvw
— Zee News (@ZeeNews) August 10, 2022
उन्होंने यह भी कहा, 'नीतीश कुमार की स्थिति काफी बदली है. जो लोग ऐसी समीक्षाएं कर रहे हैं कि इससे उनके राजनीतिक करियर और विश्वसनीयता पर असर नहीं पड़ेगा तो ऐसा नहीं है. 2010 में नीतीश कुमार की पार्टी के विधायक 117 से ज्यादा थे. फिर घटकर 72 हो गए और अब संख्या 43 के आसपास है तो उसका असर तो है ही.' उन्होंने यह भी कहा कि सरकार साढ़े तीन साल चलनी चाहिए.
'नई सरकार को बताना चाहिए एजेंडा'
नई सरकार को सलाह देते हुई पीके ने कहा, 'उनको बताना चाहिए कि ये सरकार किस एजेंडा, किस घोषणापत्र के तहत चलेगी क्योंकि पिछला चुनाव उन्होंने 7 निश्चय पार्ट 2 पर लड़ा था. आरजेडी ने भी घोषणापत्र जारी किया था. ऐसे में जब दोनों पार्टियां साथ में आ रही हैं, तो उनको बताना चाहिए कि वह किन मुद्दों पर काम करेंगी.'
'काम हुआ तो जनता को नहीं पड़ेगा फर्क'
क्या जनता के साथ अन्याय हुआ? इस पर पीके ने कहा, 'नेता दल बदलें या ना बदलें लेकिन लोगों को उनके हिसाब की चीजें मिलें तो उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है. हो सकता है किसी की नजर में ये कदम नैतिक रूप से सही हो या न हो लेकिन जनता को इससे मतलब है कि जमीन पर काम हो रहा है या नहीं.'
जब पूछा गया कि प्रशांत किशोर पिछले कई दिन से बिहार में क्या कर रहे हैं? तो उन्होंने जवाब में कहा, 'मैंने 2 मई को घोषणा की थी, अपना एक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत मेरा बिहार के लोगों तक पहुंचने का प्रयास रहेगा. आने वाले कुछ महीनों और वर्षों के लिए उसी दिशा में लगे हुए हैं.'
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