Turkey Drone: ये क्या? तुर्की ने पाकिस्तान को लगाया चूना, एर्दोगन का खलीफा बनने का ख्वाब रहेगा अधूरा
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Turkey Drone: ये क्या? तुर्की ने पाकिस्तान को लगाया चूना, एर्दोगन का खलीफा बनने का ख्वाब रहेगा अधूरा

Turkey Drone Pakistan: क्या तुर्की ने ऐन वक्त पर पाकिस्तान को धोखा दिया? बड़े-बड़े दावे कर भारत विरोधी भाषा बोलकर तुर्की ने जो ड्रोन उसे बेचे थे वो तो फेल हो गए. जबकि इन्हीं ड्रोनों का इस्तेमाल यूक्रेन ने जंग के शुरुआती दौर में रूस पर अटैक करने के लिए किया था. 

Turkey Drone: ये क्या? तुर्की ने पाकिस्तान को लगाया चूना, एर्दोगन का खलीफा बनने का ख्वाब रहेगा अधूरा

पाकिस्तान को समझ में आ गया है कि तुर्की (तुर्किये) के हथियारों के दम पर भारत से भिड़ना उसकी सबसे बड़ी गलती थी. दरअसल, पाक ने पिछले दिनों एक साथ भारत के कई इलाकों में जो ड्रोन भेजे थे वो उसे तुर्की से ही मिले थे. ड्रोन बनाने वाली तुर्की की एक कंपनी को तो इतना घमंड था कि उसने 2022 में ऐलान किया था कि वह दागो और भूल जाओ वाली इस मशीन को कभी भी भारत को नहीं बेचेगा. यह कहते हुए तुर्किश ड्रोन मेकर बायकर (Baykar) ने पाकिस्तान को अपने जाल में फंसा लिया था. कैसे? समझते हैं.

दरअसल, तुर्की के ही ड्रोन का इस्तेमाल यूक्रेन-रूस युद्ध में भी हो चुका है. वो शुरुआती दौर था जब यूक्रेन ने एर्दोगन के ड्रोन को रूसी डिफेंस एसेट को तबाह करने की मंशा से इस्तेमाल किया था. तुर्की कंपनी दावा करती है कि उसके ड्रोन 27 घंटे तक लगातार आसमान में रह सकते हैं. उसी समय जब रूस ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत किया तो वे टारगेट के करीब पहुंचने में बुरी तरह फेल हो गए.

... लेकिन पाकिस्तान गलतफहमी में रहा

जून 2022 की एक रिपोर्ट बताती है कि Turkish TB-2 Bayraktar ड्रोन का दावा फेल होता दिखा. ऐसे में अब यूक्रेन की सेना इसे रूस के खिलाफ इस्तेमाल घटाने के बारे में सोच रही है. तब तक रूसी एयर डिफेंस सिस्टम ने इन तुर्किश ड्रोन को उड़ाना शुरू कर दिया था. रिपोर्टों की मानें तो उसी समय से यूक्रेन ने तुर्की ड्रोनों का इस्तेमाल दूसरे काम में करना शुरू कर दिया. अपने तोपों की लोकेशन बदलने और सेना के लिए सर्वे के काम में इनका इस्तेमाल किया जाने लगा. ऐसा लगता है कि यूक्रेन-युद्ध संघर्ष से भारत ने सबक सीखा लेकिन पाकिस्तान गलतफहमी में ही रह गया.

भारत ने पूरी मजबूती से एयर डिफेंस सिस्टम के दम पर तुर्की के ड्रोन के साथ-साथ चीनी मिसाइलों को भी आसमान में ही उड़ा दिया. ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान की कार्रवाई बुरी तरह से फेल रही.

तुर्की की चाल और फंस गया पाक

ऐसे में तुर्की की मंशा को समझना जरूरी है. दरअसल, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन मुस्लिम जगत का खलीफा बनने का सपना देख रहे हैं यही वजह है कि वह पाकिस्तान जैसे देशों को दाना डालते हैं. हालांकि उनका यह ख्वाब अधूरा ही रहने वाला है. मजबूरी में तुर्की की गोद में बैठे पाकिस्तान को सारा खेल समझ में आएगा तो वह भी दूर हो जाएगा.

चौंकाने वाली बात तो यह है कि तुर्की ने पाकिस्तान को जो ड्रोन सप्लाई किए थे वो यूक्रेन को बेचे गए ड्रोन के बराबर की क्षमता के नहीं थे. उधर, भारत के अपेक्षाकृत सस्ते मेड-इन-इंडिया ड्रोन ने पाकिस्तानी अटैक को धुआं-धुआं कर दिया. जब तुर्की के ड्रोन भारत-पाकिस्तान सीमा पर फेल होने लगे तो एर्दोगन सरकार में हताशा साफ देखी गई. ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय रक्षा मंत्रालय की ब्रीफिंग पर तुर्की ने अपने एक जूनियर अफसर को आगे कर दिया.

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भारतीय सशस्त्र बलों के पास आधुनिक और घातक इजरायली हरोप ड्रोन भी हैं. ये सुसाइड ड्रोन होते हैं यानी अपने टारगेट की पहचान करने के बाद खुद को विस्फोटकों के साथ उड़ा देते हैं. इससे दुश्मन को काफी नुकसान होता है. ये भारत के शस्त्रागार में एक शक्तिशाली हथियार साबित हुए हैं. इन्हीं में से कुछ 'कमांडो ड्रोन' ने 7-10 मई के संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम और प्रमुख सैन्य स्थलों को नष्ट कर दिया.

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