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नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि हर विमान में एक ब्लैक बॉक्स होता है, जो ये बता सकता है कि दुर्घटना के समय आखिर हुआ क्या था. गुरुवार को जब कुन्नूर में घटनास्थल से हेलिकॉप्टर के मलबे को हटाया जा रहा था, उस समय पुलिस और भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को ये ब्लैक बॉक्स बरामद हुआ. असल में ये ब्लैक बॉक्स ब्लैक रंग का नहीं होता बल्कि Orange यानी नारंगी रंग का होता है. ताकि हादसे के बाद जब जांच टीम घटनास्थल पर पहुंचे तो ये बॉक्स दूर से ही उसे नजर आ जाए.
जब कभी कोई विमान हादसे का शिकार होता है तो उसमें बहुत कम ही चीजें ऐसी होती हैं, जो सुरक्षित बच पाती हैं. ऐसी स्थिति में किसी भी विमान के क्रैश होने की सही जानकारी नहीं मिल पाती. इसलिए सभी विमानों में ये ब्लैक बॉक्स रखा जाता है और ये बॉक्स टाइटेनियम (Titanium) धातु से बना होता है, जो कि बहुत मजबूत धातू मानी जाती है. अब इस ब्लैक बॉक्स में दो डिवाइस होती हैं. एक है कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (Cockpit Voice Recorder) और दूसरी है डिजिटल फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (Digital Flight Data Recorder).
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (Cockpit Voice Recorder) का काम होता है, विमान के कॉकपिट में होने वाली, पायलट और उसके सहयोगियों के बीच की बातों को रिकॉर्ड करना. इसके अलावा इसमें वो कमांड्स (Commands) भी रिकॉर्ड होती हैं, जो उड़ान के दौरान कॉकपिट (Cockpit) और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (Air Traffc Control) एक दूसरे को देते हैं. यानी दुर्घटना से पहले पायलट ने क्या कहा, दूसरे Crew Members क्या बता रहे थे, वो सब इसमें रिकॉर्ड होगा. इससे पता चल सकता है कि पायलट को हादसे से पहले हेलिकॉप्टर में क्या परेशानी दिखी थी या इस दुर्घटना का और क्या कारण था.
इसी तरह डिजिटल फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (Digital Flight Data Recorder) का काम होता है, विमान की गति, उसकी ऊंचाई, उसके इंजन और ईंधन समेत 90 प्रकार की जानकारियों को डाटा के रूप में जमा करके रखा. इसमें 24 घंटे तक की जानकारी दर्ज होती है. यानी जो ब्लैक बॉक्स मिला है, उससे ये पता लगाना आसान होगा कि दुर्घटना से पहले क्या विमान में कोई खामी आई थी और हेलिकॉप्टर को Wellington पहुंचने से पहले नीचे क्यों आना पड़ा. कुल मिला कर आप ये समझ सकते हैं कि ये ब्लैक बॉक्स इस हेलिकॉप्टर क्रैश का सबसे बड़ा चश्मदीद है, जो क्रैश के समय की पूरी कहानी बता सकता है. ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है.
24 मार्च 2015 को फ्रांस में जर्मनी का एक यात्री विमान ऐल्पस (Alps) की पहाड़ियों में क्रैश हो गया था, जिसमें बैठे सभी 114 लोगों की मौत हो गई थी. उस समय विशेषज्ञ इस दुर्घटना के लिए Alps की ऊंची पहाड़ियों और खराब मौसम को वजह मान रहे थे. लेकिन बाद में जब इस विमान से लगे ब्लैक बॉक्स की जांच हुई तो एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ. तब ये पता चला कि इस यात्री विमान के मुख्य पायलट ने सहयोगी पायलट को पहले कॉकपिट से बाहर भेजा और फिर कॉकपिट को अंदर से बंद करके विमान को जानबूझकर पहाड़ों में क्रैश करा दिया. उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे डिप्रेशन की बीमारी थी और वो काफी समय से इंटरनेट पर आत्महत्या करने के तरीकों के बारे में पढ़ रहा था. यानी जिस दुर्घटना के लिए शुरुआत में खराब मौसम को वजह माना जा रहा था, असल में वैसा कुछ था ही नहीं. इस हादसे की असली वजह उस पायलट का डिप्रेशन था, जिसने 114 लोगों की जान ले ली. आसान भाषा में समझा जाए तो इस मामले में भी क्रैश के लिए खराब मौसम को वजह माना जा रहा है. लेकिन ये संभव है कि ब्लैक बॉक्स की जांच के बाद इसके पीछे कोई और कहानी निकले.
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